नई दिल्ली, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश की भाषाई विविधता पर गर्व करने का आह्वान करते हुए कहा कि भाषाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और उनका समृद्ध साहित्यिक इतिहास रहा है।
श्री नायडू ने सोमवार को अपने निवास से ‘मधुबन एजुकेशनल बुक्स’ के समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 1949 में हमारी संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था।
इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने 1946 में ‘हरिजन’ में गांधीजी के लेख को उद्धृत करते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की नींव पर ही राष्ट्रभाषा की भव्य इमारत खड़ी होगी। राष्ट्रभाषा और क्षेत्रीय भाषाएं एक दूसरे की पूरक है विरोधी नहीं।
श्री नायडू ने कहा कि महात्मा गांधी और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का मार्ग ही हमारी भाषाई एकता को सुदृढ़ कर सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारी हर भाषा वंदनीय है। कोई भी भाषा हमारे संस्कारों की तरह शुद्ध और हमारी आस्थाओं की तरह पवित्र होती है।