पाकिस्तान के लिये जासूसी करने वाली, पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को हुई सजा
May 19, 2018
नई दिल्ली, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ को गोपनीय जानकारी देने के आरोप में अदालत ने पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को दोषी करार दिया और सजा सुनायी है। 22 अप्रैल 2010 को गिरफ्तारी के वक्त माधुरी गुप्ता इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव (प्रेस और सूचना) के पद पर नियुक्त थीं। साल 2012 में उन्हें दिल्ली की अदालत से जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को तीन साल की सजा सुनाई है। एडिशनल सेशन जज सिद्धार्थ शर्मा की बेंच ने माधुरी गुप्ता को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया है। माधुरी पर विश्वास को ठेस पहुंचाने, आपराधिक साजिश और इस अधिनियम के कई प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए हैं। माधुरी गुप्ता को सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन और पांच के तहत दोषी ठहराया गया है।
माधुरी गुप्ता, पाकिस्तान की इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव (प्रेस और सूचना) के पद पर नियुक्त थीं। तभी उनपर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भारत की गुप्त जानकारियां देने का आरोप लगाया गया था। इसके तुरंत बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। जुलाई, 2010 में माधुरी के खिलाफ दायर चार्जशीट में कहा गया था कि माधुरी अपने इस्लामाबाद स्थित आवास पर लगे कंप्यूटर व ब्लैकबेरी फोन से यह गोपनीय जानकारियां आइएसआइ को भेजती थीं।
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माधुरी गुप्ता पर फोन पर इमेल के जरिए आइएसआइ के दो अधिकारियों मुबशर राजा राणा और जमशेद के संपर्क में रहने का आरोप था। चार्जशीट में जमशेद के साथ माधुरी के अफेयर होने की भी बात कही गयी है। ट्रायल के दौरान, माधुरी गुप्ता ने दावा किया था कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग व विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें फंसाया है जिनके साथ उनके तनावपूर्ण संबंध थे।
माधुरी गुप्ता को बातचीत के लिए सार्क सम्मेलन के बहाने भारत बुलाया गया। आरोप है कि उसने पाकस्तिानी खुफिया एजेंसियों को खुफिया विभाग से जुड़ी भारतीय रणनीति व विदेश के संबंधित नीतिगत मामलों से संबंधित सूचनाएं मोटी रकम लेकर मुहैया कराई। उसे पदोन्नति मिलने के बाद तीन साल पहले इस्लामाबाद स्थित उच्चायोग में तैनात किया गया था। इस तरह का यह पहला मामला सामने आया है। अब तक कोई भी राजनयिक कहीं भी अपनी ही सरकार की खुफिया जानकारी उपलब्ध कराने के आरोप में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।