मैसुरु, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि शिक्षा के माध्यम से छात्रों को साक्षर किया जा सकता है लेकिन उसका वास्तविक उद्देश्य छात्रों को विद्वान बनाना होना चाहिए और नयी शिक्षा नीति इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्री सिंह ने सुत्तूर जगदगुरु श्री वीरसिन्हासन महासमास्थान मठ (सुत्तूर मठ) के 23वें संत शिवरात्रि राजेन्द्र स्वामी की 105वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम को नयी दिल्ली से संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि छात्रों को साक्षर से विद्वान में परिवर्तित करने की प्रक्रिया आध्यात्मिकता और मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए।
श्री सिंह ने कहा,“वर्षों के दौरान शिक्षा क्षेत्र में हुए बदलाव और नयी शिक्षा नीति छात्रों को एक शिक्षित व्यक्ति से विद्वान व्यक्ति में परिवर्तित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की व्याख्या करते हुए कहा,“ हमें केवल वित्तीय और आर्थिक रूप से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी आत्मनिर्भर बनना होगा जिसके लिए हमें आध्यात्मिक और धार्मिक मार्गदर्शन की जरूरत होगी।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया की अन्य सभ्यताओं और संस्कृतियों से प्रभावित होना कोई समस्या नहीं है। कहीं से अच्छी चीजें स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन दूसरों की नकल करना एक समस्या है। इसके लिए शिक्षा काफी महत्वपूर्ण है।