लखनऊ, लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर रविकांत के साथ भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं द्वारा की गयी अभद्रता का मामला गरम होता जा रहा है, दलित प्रोफेसर को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन भी सामने आ गए हैं, इन संगठनों ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि जल्दी ही दोषियों के खिलाफ भी मारपीट समेत दलित उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज नहीं की गयी तो बहुजन समाज इस मामले को लेकर आन्दोलन चलाएगा। प्रो. रविकांत ने टीवी डिबेट में ज्ञानवापी मस्जिद से सम्बंधित जो तथ्य पेश किये वे इतिहासकार सीतारमैया की पुस्तक के उद्दरण के आधार पर थे, वह पुस्तक प्रतिबंधित भी नहीं है। बावजूद इसके उन्होंने इस मामले का विरोध होने पर प्रकरण को समाप्त करने के मकसद से खेद भी जताया, फिर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में इनके साथ अभद्रता की और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए इनके खिलाफ धरना दिया और एफआईआर भी दर्ज करा दी, जब प्रो. रविकांत ने अपने साथ हुई अभद्रता की शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की। अब इस मामले को हिन्दू धर्म के महामंडलेश्वर धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, महामंडलेश्वर विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के बीच जाकर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का भी प्रयास कर रहे हैं।
इस मामले की जानकारी लगते ही सामाजिक संस्था बहुजन भारत के अध्यक्ष कुंवर फ़तेह बहादुर ने लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रविकांत से बात की और इसके बाद उन्होंने प्रो. रविकांत के साथ की गयी अभद्रता और उनके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किये जाने के मामले में लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर से बात की और इस मामले में रविकांत की एफआईआर दर्ज करके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की, इस पर पुलिस आयुक्त ने एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई का भरोसा दिया। बहुजन समाज संयुक्त मोर्चा यूपी के संयोजक दया सागर बौद्ध ने कहा कि मानवीय एवं संवैधानिक अधिकारों के असामाजिक एवं राष्ट्र बिरोधी तत्व आरएसएस की सरकारों के समर्थन से देश में अस्थिरता एवं दहशत फैला रहे हैं।
डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भवननाथ पासवान ने दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के मामलों में सियासी दलों की चुप्पी पर आश्चर्य जताया और कहा कि इसके लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा। बैठक में बहुजन भारत संस्था के उपाध्यक्ष नन्द किशोर, महासचिव चिंतामणि, कोषाध्यक्ष राम कुमार गौतम, संयुक्त सचिव कृष्ण कन्हैया पाल, नवल किशोर ने भी अपने विचार रखे।