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दिल्ली दंगों को लेकर लोकसभा में हंगामा….

नयी दिल्ली, दिल्ली के दंगों को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को दो बार स्थगित करनी पड़ी।

एक बार के स्थगन के बाद दूसरी बार जैसे ही सदन समवेत हुए विपक्षी सदस्य आसन के चारों ओर जमा हो गये और गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे। उनमें से कुछ के हाथ में तख्तियां भी थीं जिन पर गृहमंत्री के बारे में आपत्तिजनक भाषा में नारे लिखे हुए थे।

पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने सदस्यों से अपील की कि आज आम बजट में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा होनी है। दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्ग के कल्याण के बारे में चर्चा होनी है। इसलिए सभी सदस्यों से निवेदन है कि वे अपना अपना स्थान ग्रहण करें।

श्री सोलंकी ने कई बार यह अपील दोहरायी लेकिन इससे विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा। इस पर श्री सोलंकी ने कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी। इस प्रकार से दूसरी बार भी पांच मिनट के भीतर कार्यवाही स्थगित कर दी गयी।

इससे पहले 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर दिल्ली में हुई हिंसा पर संसद में होली के बाद चर्चा पर सरकार के अड़ने से विपक्ष ने जबरदस्त हंगामा किया जिससे सदन में प्रश्नकाल नहीं हो सका और कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम् समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के सदस्य खड़े होकर दिल्ली हिंसा पर चर्चा की माँग करने लगे। वे “हमें न्याय चाहिये” के नारे लगा रहे थे और हाथों में नारे लिखी तख्तियाँ लिये हुये थे। अध्यक्ष ओम बिरला दोनों बार सदन में उपस्थित नहीं थे और कार्यवाही का संचालन श्री सोलंकी कराई। उन्होंने हँगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील की।

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार ने कल सदन में स्पष्ट कर दिया था कि वह होली के बाद 11 मार्च को दिल्ली की घटनाओं पर चर्चा के लिए तैयार है। लोकसभा में 11 मार्च को और राज्यसभा में 12 मार्च को चर्चा के लिए हम तैयार हैं। उन्होंने विपक्ष से कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुये कहा कि इस सत्र में काफी महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी है। श्री जोशी ने आरोप लगाया कि विपक्ष चर्चा नहीं होने देना चाहता, उसका उद्देश्य सिर्फ कार्यवाही में व्यवधान डालना है।

हंगामे के बीच ही श्री सोलंकी ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की। दो प्रश्न भी सदन में पूछे गये। लेकिन बार-बार अपील के बावजूद जब विपक्षी सदस्यों का हंगामा शांत नहीं हुआ तो उन्होंने 11 बजकर 10 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।