नई दिल्ली, बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा के पीछे प्रधानमंत्री बनने का बड़ा दांव खेला है। उनका ये राज उनके द्वारा किये गये एक ट्वीट से उजागर हुआ है।
मायावती ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। मायावती ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि ‘वर्तमान हालात को देखकर अगर चुनाव बाद मौका आएगा तो मैं जिस सीट से चाहूंगी, उस सीट को खाली कराकर लोकसभा की सांसद बन सकती हूं। इसलिए देश के वर्तमान हालात को देखते हुए तथा अपनी पार्टी के मूवमेंट के व्यापक हित के साथ जनहित व देश हित का भी यही तकाजा है कि मैं लोकसभा का चुनाव अभी न लड़ूं। यही कारण है कि मैंने फिलहाल लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है।’
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष ने चुनाव न लड़ने का ऐलान करने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने एक और ट्वीट कर राजनैतिक गर्मी पैदा कर दी है।
मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जिस प्रकार 1995 में जब मैं पहली बार यूपी की सीएम बनी थी तब मैं यूपी के किसी भी सदन की सदस्य नहीं थी। ठीक उसी प्रकार केन्द्र में भी पीएम/मंत्री को 6 माह के भीतर लोकसभा/राज्यसभा का सदस्य बनना होता है. इसीलिये अभी मेरे चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से लोगों को कतई मायूस नहीं होना चाहिये।’
जिस प्रकार 1995 में जब मैं पहली बार यूपी की सीएम बनी थी तब मैं यूपी के किसी भी सदन की सदस्य नहीं थी। ठीक उसी प्रकार केन्द्र में भी पीएम/मंत्री को 6 माह के भीतर लोकसभा/राज्यसभा का सदस्य बनना होता है। इसीलिये अभी मेरे चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से लोगों को कतई मायूस नहीं होना चाहिये
बसपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से चार बार लोकसभा चुनाव जीता है तथा दो बार विधानसभा की सदस्य भी रही हैं। वह चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रही हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें प्रदेश की किसी भी सीट पर केवल अपना नामांकन भरने के लिए ही जाना होगा और बाकी जीत की जिम्मेदारी उनके लोग खुद ही उठा लेंगे, यह निश्चित है। उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव लड़ेंगी तो पार्टी के लोग उनके लाख मना करने के बावजूद उनके लोकसभा क्षेत्र में काम करने जायेंगे जिससे दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव के प्रभावित होने की आशंका है। वह ‘पार्टी मूवमेंट’ के हित में ऐसा कतई नहीं चाहती हैं।