मायावती ने कहा कि देश के करोड़ों दलितों व आदिवासियों की तरह ही बीजेपी अब चुनाव के समय में ओबीसी वर्गो को भी छलना चाहती है. यही कारण है कि उनको लुभाने के लिए संसद में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक लाया गया है, जो उनकी चुनावी स्वार्थ की राजनीति के सिवाय कुछ भी नहीं है.
मायावती ने अपने बयान में कहा कि पिछड़े वर्ग के लोगों के हित व कल्याण के मामले में बीजेपी सरकारों को थोड़ी गंभीरता व ईमानदारी दिखाते हुए राजनीति के साथ-साथ शिक्षा व सरकारी नौकरियों में इनके आरक्षण के कोटा को खाली रखकर इनका हक नहीं छीनना चाहिए. इसके बजाय सभी स्तर पर इनको आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि बीजेपी का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा से ही पिछड़ा वर्ग व इनके आरक्षण का घोर विरोधी रहा है. इन्होंने मंडल आयोग की रिपोर्ट को देश में लागू करने का काफी तीव्र विरोध किया था. अब वोट के लिए भ्रम फैलाना चाहते हैं. हालांकि काफी लंबे इंतजार के बाद संसद में लाए गए इस विधेयक का वह स्वागत करती हैं.
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि बीजेपी की केंद्र व राज्य सरकारों की सोच ओबीसी हितैषी कतई नहीं है. इन्होंने राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ इन वर्गों का हक शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में भी काफी मारा है. इनका रवैया दलितों व आदिवासियों के मामलों की तरह ही पिछड़े वर्ग विरोधी भी रहा है. बीजेपी इन वर्गों के लोगों को, जो देश के बहुसंख्यक समाज हैं, आगे बढ़ता हुआ कतई नहीं देखना चाहती है.
मायावती ने कहा कि यही कारण है कि बीजेपी जातिवादी रवैया अपनाकर इनकी लगातार उपेक्षा व तिरस्कार करती रही है, जो किसी से भी छिपा हुआ नहीं है. लेकिन अब जबकि लोकसभा व प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले तरह-तरह की नाटकबाजी करने का प्रयास कर रही है, जो जनता खूब समझती है और इनके इस प्रकार के बहकावे में कतई आने वाली नहीं है.
मायावती ने कहा कि बीजेपी सरकार की नीयत थोड़ी भी साफ व सकारात्मक होती तो यह काम सरकार बनने के पहले वर्ष में ही आसानी से कर सकती थी. इतना ही नहीं, बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का भी संतोषजनक जवाब देश को देना है कि इन्होंने पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण संबंधी मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के फैसले का तीव्र विरोध देशभर में क्यों किया था? आरक्षण के विरोध में सन् 1990 में वी.पी. सिंह की जनता दल सरकार को क्यों गिरा दिया था?
उन्होंने कहा कि बड़े दुख की बात है कि केंद्र की सत्ता में रहकर लगभग सवा चार वर्षों में बीजेपी सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया, लेकिन जब लोकसभा व मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ राज्यों का चुनाव नजदीक आ गया है तो अब पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक संसद में लाकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि चुनाव में इनका कुछ वोट हासिल किया जा सके. यह ओबीसी वर्गो को छलने का प्रयास है. इन वर्गो को सावधान रहने की जरूरत है.