बागपत, मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ताप वृद्धि के लिये पेड़ पौधों की कमी सीधे तौर पर जिम्मेदार है और इससे बचने के लिये वैज्ञानिक अब पानी का अधिक अवशोषण करने वाले यूकेलिप्टस जैसे पेड़ों के बजाय नीम, शीशम, जामुन और पॉपुलर जैसे देसी पेड़ लगाने का परामर्श दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की मौसम वैज्ञानिक अंकिता नेगी ने यहां के बढ़ते तापमान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बागपत का औसत तापमान इस वर्ष पिछले 10 वर्षों की तुलना में 3.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। उन्होंने गुरुवार को बताया जहां मार्च माह के प्रारंभ में तापमान 25.6 डिग्री सेल्सियस था, वही मार्च के अंतिम दिन तक यह 40 डिग्री सेल्सियस हो गया है। जो बेहद चिंता का विषय है।
उनका कहना है कि बागपत की ही तरह ही मेरठ जनपद में भी यही पैटर्न देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि है, बागपत में तापमान के इस प्रकार बढ़ने का कारण वृक्षों की पर्याप्त संख्या न होना है। उन्होंने तापमान को संतुलित बनाये रखने के लिए पेड़ पौधों की संख्या को बढ़ाने, खासकर नीम, पीपल, बरगद, पॉपुलर और शीशम जैसे स्थानीय देसी पेड़ों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि वाहनों के अधिक प्रयोग से भी कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ने से तापमान को बढ़ाने वाली गैसें उत्पन्न होती है।
उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में लगाये गये ईंट भट्ठों से भी तापमान में ऊष्मा , कार्बन डाई ऑक्साइड , कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी तापवृद्धि करने वाली गैसों की मात्रा बढ़ती है। उन्होंने तापमान की अधिकता को रोकने के लिए वाहनों का उपयोग भी कम करने की जरूरत पर भी बल दिया।