विपक्ष ने मोदी सरकार पर लगाया, रेलवे का निजीकरण करने का आरोप
July 12, 2019
नयी दिल्ली , विपक्ष ने सरकार पर रेलवे के निजीकरण के प्रयास का आरोप लगाते हुये गुरुवार को कहा कि हमारी कुछ सामाजिक जिम्मेदारियाँ हैं जिनका निर्वहन किया जाना चाहिये जबकि सत्तापक्ष ने कहा कि रेलवे भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति और आर्थिक विकास की रीढ़ है तथा इसे आने वाले समय में इसे मुनाफा कमाने में सक्षम बनाया जाएगा।
रेल मंत्रालय से संबंधित अनुदान माँगों पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुये कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पिछले तीन साल से रेल बजट को आम बजट में ही मिला दिया गया है। इससे उसकी चमक धूमिल पड़ गयी है। उन्होंने कहा कि बजट में रेलवे पर 50 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गयी है। सरकार को उम्मीद है कि सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत रेलवे की परिसंपत्तियाँ बेचकर जो पैसा आयेगा उससे यह निवेश किया जायेगा। लेकिनए पिछले बजटों में खर्च का जो वायदा किया गया था वह भी अब तक पूरा नहीं किया जा सका है।
श्री चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में वाराणसी में घोषणा की थी कि वह रेलवे का निजीकरण नहीं होने देंगे और कम से श्री मोदी के वायदे का सम्मान किया जाना चाहिये। उन्होंने रायबरेली और चितरंजन की इकाइयों समेत रेलवे की सात विनिर्माण इकाइयों के निगमीकरण के प्रस्ताव का भी विरोध किया और कहा कि सरकार की मंशा पहले निगमीकरण और बाद में निजीकरण करने की है। उन्होंने सवाल किया ये सभी इकाइयाँ मुनाफा कमा रही हैंए फिर उन्हें क्यों बेचा जा रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे की स्थिति खराब हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 में उसका परिचालन अनुपात बढ़कर 98.40 पर पहुँच गया। इसका मतलब यह है कि हर 100 रुपये कमाने के लिए उसे 98.40 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इस बजट में उसे 96.20 रखने की बात कही गयी हैए लेकिन यह नहीं बताया गया है कि यह कैसे संभव होगा। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने रेलवे के लिए 12,999 रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा थाए लेकिन वास्तव में उसकी कमाई 6,014 करोड़ रुपये ही रही।