मोदी सरकार पूरे देश मे करायेगी, इस मुगल शासक पर आधारित नाटक का मंचन
September 11, 2019
नयी दिल्ली, मोदी सरकार एक मुगल शासक पर आधारित नाटक का मंचन पूरे देश मे करायेगी। दिल्ली में “एकेडेमिक्स फॉर नेशन” नामक संस्था द्वारा दारा शिकोह पर आयोजित संगोष्ठी में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह घोषणा की।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उनके मंत्रालय की ओर से मुगल बादशाह शाहजहां के पुत्र और जानमाने विचारक दारा शिकोह के जीवन और उनकी ‘समावेशी सोच’ पर आधारित नाटक का पूरा देश में मंचन कराया जाएगा।
दिल्ली में “एकेडेमिक्स फॉर नेशन” नामक संस्था द्वारा दारा शिकोह पर आयोजित संगोष्ठी में नकवी ने यह भी कहा कि दारा शिकोह जीते जी औरंगजेब की क्रूरता के शिकार रहे तो मरने के बाद वामपंथी इतिहासकारों की असहिष्णुता का शिकार हुए और इतिहास में उन्हें जो स्थान मिलना चाहिए था वो नहीं मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने करीब दो साल पहले लंदन में एक नाटक देखा जिसमें दारा शिकोह को खलनायक और औरंगजेब को नायक की तरह पेश किया गया। यह तो विदेश में था, लेकिन हमारे ही देश में दाराशिकोह को इतिहास का पन्नों में जो जगह मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली।’’
नकवी ने कहा, ‘‘ मैंने कुछ लोगों से बात की है। मेरा विचार है कि पूरे देश में जगह-जगह दारा शिकोह के जीवन पर आधे घंटे या एक घंटे के नाटक मंचन होना चाहिए। यह नाटक दारा शिकोह के जीवन, उनकी समावेशी सोच और सर्वधर्म समभाव की उनकी सोच पर आधारित होगा।’’
बाद में उन्होंने यह कहा कि इस नाटक के मंचन की शुरुआत अगले महीने से हो सकती है। नकवी ने कहा, ‘‘ कुछ वामपंथी, सेक्युलर इतिहासकारों की जमात द्वारा अराजक, हिंसक, जालिम औरंगजेब जैसे शासक को महिमामंडित करने का काम किया गया। औरंगजेब की सोच इंसानी मूल्यों, हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति को तबाह करने की साजिशों से भरी थी। ऐसी ही सोच ने अलकायदा, आईएसईएस, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे शैतानी संगठनों को जन्म दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमने दारा शिकोह की संस्कृति-संस्कार और सन्देश को अपनी पीढ़ी की रगों में उतारा होता तो ऐसी शैतानी ताकतें जो पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं, वो ना पनप पातीं।’’
नकवी ने कहा कि दारा शिकोह के शांति का संदेश हिंदुत्व और इस्लाम के सह अस्तित्व पर आधारित था।
दारा शिकोह पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल एवं बड़ी संख्या में जाने-माने शिक्षाविद, विचारक, प्रमुख बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी उपस्थित थे।