हैदराबाद , अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ ने मुख्य चुनाव आयुक्त से बैंक का कर्ज लेकर भागने वाले लोगों को लोकसभा का चुनाव लड़ने से वंचित रखने की अपील की है।
एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने सीईसी सुनील अरोड़ा को भेजे गए अपने पत्र में लिखा,“यह एक सर्वविदित तथ्य है कि इन बुरे ऋणों से बड़े व्यवसाय खड़े किये जाते हैं और संपन्नता अर्जित की जाती है। बैंक का कर्ज नहीं लौटाने वाले कई मामलों में जानबूझकर और फंड के डायवर्सन आदि कारण पाये जाते हैं, दुर्भाग्य से, बैंक लोन डिफॉल्ट अभी भी एक सिविल अपराध है और इसलिए बैंक से कर्जा लेने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा रही है।”
वेंकटचलम ने कहा कि हम सरकार से समय-समय पर इन बकाएदारों के नामों के प्रकाशन की मांग करते रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हम फिर से जानबूझकर बैंक का कर्जा नहीं लौटाने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार इसे भी टाल रही है और इससे बच रही है। ये सभी बड़े कर्जदारों को कर्ज लेने और बैंकों को धोखा देने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
यह स्पष्ट है कि बैंकों को धोखा देना लोगों को धोखा देने के अलावा और कुछ नहीं है, क्योंकि बैंक लोगों की ओर से जमा किए गए धन से ही ऋण का वितरण करते हैं।उन्होंने कहा कि गबन करने वाले कर्जदारों पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय, केंद्र सरकार बहुत अधिक उदारता दिखा रही है जिसके कारण यह कर्जदार पुनर्भुगतान में भारी रियायतें हासिल कर रहे हैं। जिसके कारण बैंकों को भारी नुकसान का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
शीर्ष संघ नेता ने कहा,“हमारे पास अतीत में कड़वा अनुभव है जहां बैंक ऋण डिफाल्टर चुनाव लड़ने में सक्षम हो गए तथा सांसद और विधायक बन गए हैं एवं मंत्री भी बन गए हैं। हम सार्वजनिक हित में मांग कर रहे हैं, कि बैंक ऋण चूककर्ताओं को चुनाव लड़ने या किसी भी सार्वजनिक कार्यालय को रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा,“हमें यकीन है कि चुनाव आयोग इसमें शामिल राष्ट्रीय हितों पर विचार करेगा और उपयुक्त दिशानिर्देश जारी करेगा।”