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मोनास्ट्री ने भारत थाईलैंड के संबंधों को किया प्रगाढ़

कुशीनगर,  उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में थाईलैंड की मोनास्ट्री संस्था पर्यटन विकास एवं लोक कल्याण कार्यो में अपनी अहम भूमिका निभाकर दोनों के बीच संबंधों को और प्रगाढ बनाया है।

भारत-थाईलैंड के संबंध प्राचीन काल से चले आ रहे हैं लेकिन दो दशक से कुशीनगर में थाई संस्था मोनास्ट्री ने भी संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में खासी भूमिका निभाई है। मोनास्ट्री की गतिविधियों से न केवल दोनों देशों की संस्कृतियां साझा हो रही हैं, बल्कि दोनों देशों के नागरिक भाषा, कला, खेल एवं रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं।

पर्यटन सूचना अधिकारी प्राण रंजन ने बताया कि पर्यटन विभाग का थाई सैलानियों पर विशेष फोकस है। पर्यटन विकास में भी मोनास्ट्री योगदान दे रहा है। संस्था से समन्वय बनाकर थाई सैलानियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाती है। श्री रंजन ने बताया कि स्थानीय स्तर पर मोनास्ट्री लोक कल्याण के क्षेत्र में भूमिका निभा रहा है।

लोक स्वास्थ्य के लिए थाई क्लीनिक के चिकित्सक इलाके के लिए निर्धन परिवारों को परामर्श, परीक्षण, दवा, एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। दूसरी तरफ बालकों के शैक्षिक विकास के लिए गायन, वादन, खेल, संस्कृति, स्टेशनरी ड्रेस वितरण, निबंध, वाद-विवाद प्रतियोगिता के माध्यम से भी यह योगदान दे रही है।

उन्होंने बताया कि वर्ष में एक बार आयोजित होने वाले थाई फेस्टिवल में दोनों देशों की कला व संस्कृति के विविध साझा रूप देखकर संबंधों की बढ़ती प्रगाढ़ता को मापा जा सकता है। बौद्ध सर्किट का पर्यटन कारोबार थाईलैंड पर टिका हुआ है। अकेले 50 फीसदी थाई बौद्ध सर्किट में आते हैं। दोनों सिर्फ कला व संस्कृति ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी साझा कर रहे हैं।

थाई राजकुमारी चुलबोर्न के शुक्रवार 21 फरवरी को आगमन से लोग मोनास्ट्री की भूमिका को फिर सराहने लगे हैं। वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने यहां घंटों व्यतीत कर गतिविधियों को सराहा था। चुलबोर्न थाईलैंड के दिवंगत महाराजा भूमिबोल अदुल्यदेज की छोटी पुत्री हैं। इसके पूर्व महाराज की बड़ी पुत्री राजकुमारी महाचक्री सिरोंधान का भी दो बार कुशीनगर आगमन हो चुका है।
यानी दो दशकों में थाई राजपरिवार के सदस्य का यह तीसरा दौरा है। वर्ष 2000 में चैत्य के शिलान्यास के वक्त दूसरी बार 2005 में चैत्य के लोकार्पण के समय राजपरिवार की प्रतिनिधि के तौर पर राजकुमारी की उपस्थिति रहीं।