Breaking News

चांद की सतह पर लैंडर विक्रम का चला पता, इमेज भी क्लिक हुयी

नई दिल्ली, इसरो ने चांद की सतह पर लैंडर विक्रम के लोकेशन का पता लगा लिया गया है.

इसकी पुष्टि खुद इसरो के चेयरमैन के सिवन ने की है.

इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज भी क्लिक की है.

हालांकि अभी तक विक्रम लैंडर से कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है.

700 रुपये महीने में इंटरनेट, मुफ्त फोन कॉल, एचडी टीवी और डिश….

इसरो प्रमुख ने यह भी कहा कि इमेज से यह साफ नहीं हो सका है कि विक्रम चांद की सतह पर किस हालत में है.

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा  ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है.

इसरो का कहना है कि चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की सटीक लोकेशन का पता चलते ही उससे संपर्क करने की कोशिश जारी है.

बताया जा रहा है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है.

लखनऊ में ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए, उठाया गया ये बड़ा कदम

विक्रम लैंडर का पता लगते ही इसरो में मौजूद वैज्ञानिकों में एक उम्मीद जगी है.

वे लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, इसरों की की मानें तो जल्द ही विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाएगा.

इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके.

शिक्षक और स्टूडेंट्स को पीएम मोदी ने दी ये खास सलाह….

इसरो की FAC टीम यह पता लगाने में जुटी है कि आखिर किन वजहों से लैंडर का संपर्क इसरो कमांड से टूट गया था.

चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा  से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी.

यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है.

भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा.

इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका.

चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद 47 दिनों तक विभिन्न प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ करीब चार लाख किलोमीटर की दूरी तय की.

लेकिन चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया.