औरैया, विश्व स्तनपान सप्ताह दुनिया भर में एक से सात अगस्त तक मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य समुदाय में स्तनपान के प्रति जागरूकता पैदा करना और बढ़ावा देना है। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को औरैया के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर धात्री और गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के बारे में जागरूक किया गया, साथ ही स्तनपान के फायदे के बारे में जागरूकता के लिये स्लोगन भी लिखे गये।
डिस्ट्रिक्ट कम्यूनिटी प्रोसेस मैनेजर (डीसीपीएम) अजय कुमार ने बताया कि कोविड-19 सहित अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने मे माँ का दूध सबसे अच्छा आहार माना जाता है। यह न केवल नवजात शिशुओं को बीमारियों से बचाता है बल्कि शिशुओं के सम्पूर्ण विकास मे भी सहायक होता है। माँ के दूध मे वह सभी पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के जीवन के लिए अमूल्य हैं। यहाँ तक कि जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर मे भी कमी लायी जा सकती है।
यूनिसेफ के मंडलीय समन्वयक आशीष शुक्ल बताते हैं कि शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का पीला गाढ़ा दूध पिलाना जरूरी होता है क्योंकि वही उसका पहला टीका होता है जो कि कोरोना जैसी कई बीमारियों से बच्चों की रक्षा कर सकता है। इसके अलावा मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उनको कोरोना से आसानी से बचाया जा सकता है।
शुरू के छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध देना चाहिए क्योंकि उसके लिए वही सम्पूर्ण आहार होता है जो उन्हे डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी बीमारियों से बचाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दौरान शिशु को बाहर का कुछ भी नहीं देना चाहिए, यहाँ तक कि पानी भी नहीं, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है। उनके अनुसार विकल्प के रूप मे कुछ लोग शिशुओं को छह माह की आयु से पहले डिब्बा बंद दूध या पालतू पशुओं का दूध पिलाने मे इस्तेमाल करते हैं जो किसी भी रूप मे शिशु के शुरुवाती विकास मे सहायक नहीं होता है।
आशाओं द्वारा गर्भवतियों को बताया गया कि छह माह से बड़े बच्चों को स्तनपान कराने के साथ ही पूरक आहार देना शुरू करना चाहिए क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास का समय होता है। इस दौरान दाल, दूध, दूध से बने पदार्थ, मौसमी फल और हरी सब्जियां देना चाहिए। संक्रमण काल में ताजे फल या सब्जी को अच्छी तरह धोकर ही काम में लायें, बस इतना ख्याल रहे कि बच्चे का हर निवाला पोषण से भरपूर हो। शिशुओं में इन खतरों को कम करता है माँ का दूध।