जौनपुर, मैनपुरी के करहल विधानसभा में अपने पुत्र और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिये वोट की अपील करने वाले पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव अब अपने जिगरी दोस्त रहे स्वर्गीय पारस नाथ यादव के बेटे एवं निवर्तमान विधायक लकी यादव के लिए वोट मांगेंगे।
सपा के बुजुर्ग नेता ने अभी तक सिर्फ करहल सीट पर जनसभा की है और अब पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के प्रचार के लिए वह जौनपुर की मल्हनी विधानसभा में तीन मार्च को आएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उसी दिन यहां रैली करेंगे।
मुलायम की यह रैली छठवें चरण के लिए 57 सीटों पर मतदान के दिन होने जा रही है। इस तरह से जौनपुर में मुलायम की रैली से सपा पूर्वांचल की सियासी लड़ाई में बढ़त हासिल करने की कोशिश में है। सपा संरक्षक ने 2017 के चुनाव में भी महज दो रैली की थीं, जिनमें एक रैली शिवपाल यादव के लिए जसवंतनगर में और दूसरी जनसभा पारसनाथ यादव के लिए मल्हनी सीट पर की थी। मोदी लहर के बावजूद यह दोनों सीटें सपा जीतने में कामयाब रही थी। इस बार भी मुलायम सिंह यादव की सूबे में महज दो ही रैली रखी गई हैं, जिसमें एक अखिलेश की करहल सीट और दूसरी लकी यादव की मल्हनी सीट, इन दोनों जगह पर मुलायम सिंह यादव की रैली कराने के पीछे सपा की सोची समझी रणनीति भी मानी जा रही है।
करहल सीट पर चुनावी प्रचार में उतर कर श्री मुलायम सिंह यादव ने पूरी ‘यादव बेल्ट’ को सियासी संदेश दिया था, जहां 2017 में बीजेपी ने विपक्ष का सफाया कर दिया था. इसीलिए अखिलेश यादव अपने पुराने दुर्ग को बीजेपी से छीनने के लिए उतरे वहीं, अब मुलायम सिंह के मल्हनी सीट पर प्रचार कर लकी यादव के पक्ष में माहौल को बनाने के दांव के साथ-साथ पूर्वांचल में सपा को बड़ी जीत दिलाने का मकसद है।
दरअसल जौनपुर के एक तरफ अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र काशी है, इस पूरे इलाके में सातवें चरण में चुनाव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली जौनपुर मुख्यालय पर स्थित टीडी कॉलेज के मैदान में होगी, ऐसे में सपा ने भी मुलायम सिंह यादव की जौनपुर में उसी दिन रैली रखकर बड़ा सियासी दांव चला है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह ही पारसनाथ यादव को सियासत में लेकर आए थे और पूर्वांचल में ओबीसी के कद्दावर नेता के तौर पर स्थापित किया था, ऐसे में मुलायम के साथ मरते दम तक कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। पारसनाथ यादव अपना पहला विधानसभा चुनाव 1985 में जौनपुर की बरसठी सीट से लोकदल से जीते थे, इसके बाद वह 1989 में जनता दल से विधायक बने और 1993 में सपा से जीत दर्ज की. 1996 और 2002 में मड़ियाहूं से चुने गए और 2012-2017 में भी मल्हनी सीट से जीत दर्ज की थी। मल्हनी सीट पर पारसनाथ यादव का लंबे समय से कब्जा रहा है. 2020 में पारसनाथ यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे लकी यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया था। प्रदेश में एक साथ हुए सात उपचुनावों में सपा को केवल इसी सीट पर सफलता मिली थी। लकी यादव ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को हराकर अपने पिता की विरासत को बरकरार रखा था।
सपा ने लकी यादव को एक बार फिर से मल्हनी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है, जहां बीजेपी, कांग्रेस और बसपा से भी प्रत्याशी हैं. लेकिन यहां असल मुकाबला पूर्व सांसद धनंजय सिंह से माना जा रहा है। धनंजय सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।