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मुलायम सिंह की इस तरह की होली का जुदा था अंदाज

इटावा ,  मथुरा की लठठमार होली की तुलना एक जमाने में समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम के गांव सैफई की कपडा फाड होली से की जाती थी हालांकि अब यह यादों मे सिमट करके रह गई है क्योंकि कपडा फाड की जगह अब फूलो की होली ने ले ली है ।

मुलायम की होली का अंदाज कुछ निराला ही है। सैफई मे उनके घर के भीतर लान मे होली का जश्न सुबह से ही हर साल मनाया जाता रहा है जहाॅ गांव के लोग होली के जश्न मे फाग के जरिये शामिल होते है वहीं पार्टी के छोटे बडे राजनेता भी होली के आंनद मे सराबोर होने के लिये दूर दराज से आते रहते है। रंगो से दूरी बना चुके बुजुर्ग नेता अब गुलाल और फूलो से होली खेल करके आंनद लेते है इसलिये होली के एक दिन पहले ही कानपुर और आगरा जैसे बडे महानगरो से खासी तादात मे फूलो को मंगवा लिया जाता है ।

करीब 30 साल पहले लोगो के कपडे फटने की वजह से खुद नेताजी ने ही कपडा फाडने पर रोक लगवा दी थी। तब से लगातार रोक लगी हुई है लेकिन कोई यह बता पाने कि स्थिति मे नही है कि यह कपडा फाड पंरपरा की शुरूआत कब हुई और किसने की । नेता जी के घर पर के पास बना हुआ तालाब ही होली के उत्साह का सबसे बडा गवाह है क्योंकि 1989 मे मुख्यमंत्री बनने से पहले ही इसी तालाब मे खुद नेता जी गांव के बुर्जगो का डुबो करके होली की शुरूआत करते थे । कई बार कई अहम राजनेताओ के कपडे होली के उत्साह मे फट गये जिससे उमंग मे खलल पडने के बाद इस प्रथा को बदला गया ।  मुलायम की एक खासियत है कि वो होली से लेकर दूसरे पंरपरागत त्यौहारो को अपने गांव सैफई मे अपने परिवार और गांव वालो के बीच ही आकर ही मनाते है।