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विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन अनिवार्य हो:आनंदीबेन

विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन अनिवार्य हो:आनंदीबेन

लखनऊ,उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पांच वर्षों से अधिक समय से स्थापित विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन अनिवार्य होना चाहिए।

श्रीमती पटेल ने आज राजभवन से उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश तथा राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘नैक मूल्यांकन एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार’ विषयक वेबिनार को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पांच वर्षों से अधिक समय से स्थापित सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए नैक द्वारा मूल्यांकन अनिवार्य होना चाहिए एवं अनुपालन न/न करने की स्थिति में कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान अथवा किन्हीं अन्य संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त करनी है, तो उन्हें अनिवार्य रूप से नैक संस्था से मूल्यांकन कराना ही होगा। उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन के लिए शासन एवं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कठोर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुलपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सार्वभौमिक बनाने की दिशा में राज्य सरकार का दायित्व और अधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में तेजी से आये बदलाव के कारण उच्च शिक्षा की गुणवत्तापरक वृद्धि के सत्त प्रयासों के लिए तकनीकी संसाधनों का प्रयोग भी आवश्यक होगा। राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आॅनलाइन शिक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षा की गुणवत्ता राष्ट्र के विकास में सहायक होती है। इसलिये गुणवत्तायुक्त शिक्षा के प्रति सजग रहना होगा।

श्रीमती पटेल ने कहा कि महाविद्यालयों की सम्बद्धता के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए। अधिकतम 300 महाविद्यालयों को ही विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्धता दी जानी चाहिए, जबकि एक-एक विश्वविद्यालय से एक हजार से अधिक महाविद्यालय सम्बद्ध हैं, ऐसी स्थिति में कुलपति कैसे नियंत्रण कर सकेंगे।

उन्होंने ने कहा कि विश्वविद्यालयों में भरे हुए पदों के आधार पर ही नैक मूल्यांकन किया जाता है। संविदा पर नियुक्त शिक्षक नैक मूल्यांकन के मापदण्ड में नहीं आते हैं। इसलिये शत-प्रतिशत शिक्षकों के पदों को भरा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि किसी भी विश्वविद्यालय में शत-प्रतिशत अध्यापक नहीं है। इस पर उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय को गम्भीरता से विचार करना चाहिए।