देवरिया, उत्तर प्रदेश के देवरिया और आसपास के जिलों में मौसम की पहली बरसात ने नगर पालिका परिषद की पोल खोल दी है। सीवर और नालों के उफनाने से गंदा पानी घरों में प्रवेश कर गया वहीं कई इलाके टापू की शक्ल में तब्दील हो गये। शनिवार रात एक बजे से हो रही बारिश ने हालांकि लोगों को प्रचंड गर्मी से राहत प्रदान की हैए वहीं किसानों के लिए यह अमृत वर्षा साबित हुयी है। झमाझम बरसात से ग्रामीण इलाकों में खुशी की लहर दौड गयी है और किसानों ने रोपाई और जुताई की तैयारी शुरू कर दी है।
करीब 16 घंटे की बारिश ने देवरिया शहर में नगर पालिका परिषद के दावों की पोल खोलकर रख दी है। तमाम बड़े.बड़े दावे करने वाला नगर पालिका परिषद पहली बरसात में ही फेल होता दिखायी पडा। शहर में जहाँ कई जगहों पर भारी जल जमाव देखने को मिला। कोतवाली परिसर, रामनाथ देवरिया, देवरिया खास, लकड़ी देवरिया जैसे पुराने मुहल्ले टापू में तब्दील हो चुके थे।
नालियों के साफ सफाई पर एक बड़ा बजट खर्च करने का दावा करने वाली नगर पालिका परिषद के नाले पहली बरसात में ही ऊफनाते नजर आ रहे हैं। गौरतलब हो कि देवरिया जिला दशकों से मस्तिष्क ज्वर की बीमारी से जूझता रहा है। जानकार बताते हैं कि इस बीमारी से बचाव का एक मात्र उपाय साफ सफाई और स्वच्छ पेयजल है। लेकिन बजबजाते नाले और जलकल सप्लाई के पाईप लाईनों में लीकेज के बाद लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलना कोरा कल्पना हो सकता है।
देवरिया से चंद मील दूर बिहार के मुजफ्फरनगर में मस्तिष्क ज्वर;चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की जान जा चुकी है। लेकिन इसके बाद भी देवरिया में यहां का प्रशासन और नगर पालिका परिषद मात्र कागजों में साफ.सफाई का दावा करता नजर आ रहा है। जिला मस्तिष्क ज्वर के प्रकोप से करीब तीन दशकों से जूझ रहा है और अबतक यहां करीब तीन दशकों में हजारों बच्चे असमय ही काल के गाल में जा चुके हैं।