नयी दिल्ली, जद (यू) के वरिष्ठ नेता और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार हरिवंश सोमवार को दोबारा राज्यसभा के उपसभापति चुने गए।
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उच्च सदन की कार्रवाई के दौरान भाजपा सदस्य जे पी नड्डा ने उपसभापति पद के लिए हरिवंश के नाम का प्रस्ताव रखा और उनकी ही पार्टी के थावरचंद गहलोत ने उनके प्रस्ताव का समर्थन किया।
कांग्रेस नीत विपक्षी पार्टियों ने राजद नेता मनोज कुमार झा के चुनाव के लिए प्रस्ताव किया। लेकिन उन्होंने मतविभाजन पर जोर नहीं दिया।
सत्तारूढ़ सदस्यों और विपक्ष के प्रस्तावों के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने ध्वनिमत के आधार पर हरिवंश के निर्वाचित होने की घोषणा की।
हरिवंश के सभापति चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राजद के मनोज झा और विभिन्न दलों के नेताओं ने उन्हें बधाई दी और नए कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री मोदी सहित अधिकतर नेताओं ने सदन चलाने की उनकी शैली की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने हरिवंश को बधाई देते हुए सदन चलाने की उनकी शैली की सराहना की और उम्मीद जताई कि वह उच्च सदन की कार्यवाही संचालित करने के दौरान सभी का ध्यान रखेंगे और किसी से भेदभाव नहीं करेंगे।
मोदी ने कहा, ‘‘सामाजिक कार्यों ओर पत्रकारिता की दुनिया में हरिवंश जी ने जो ईमानदार पहचान बनाई है उसको लेकर उनके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान रहा है। जो सम्मान और अपनापन मेरे मन में है, वह सदन के हर सदस्य के मन में भी है। यह उनकी अपनी कमाई हुई पूंजी है।’’
उन्होंने कहा कि उपसभापति के रूप में पिछले कार्यकाल के दौरान हरिवंश की भूमिका से लोकतंत्र को मजबूती मिली। उन्होंने कहा, ‘‘हरिवंश जी पर सदन ने जो भरोसा जताया था वह हर स्तर पर उन्होंने पूरा किया। हरि सबके होते हैं। वैसे ही सदन के हरि (वंश), न पक्ष के, न विपक्ष के, बल्कि सबके रहेंगे। सबके लिए समान रहेंगे। कोई भेदभाव नहीं करेंगे।’’
मोदी ने कहा कि बतौर उपसभापति हरिवंश ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी भारत और भारतीय संसद का मान बढाया।
प्रधानमंत्री ने झा को भी बधाई दी और कहा कि लोकतंत्र की गरिमा के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है।
मनोज झा ने कहा कि यह चुनाव दो व्यक्तियों के बीच का मामला नहीं था और ऐसा होना भी नहीं चाहिए। उन्होंने इसी क्रम में अहमद फराज का एक शेर पढ़ा, ‘‘तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल, हार जाने का हौसला है मुझमें।
इस मौके पर हरिवंश ने कहा कि उन्हें सदन चलाने में विपक्ष सहित विभिन्न दलों का सहयोग मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में सदन चलाने में वरिष्ठ सदस्यों के अनुभव का उन्होंने पूरा लाभ लिया और वह आगे भी इसका लाभ लेते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि इस सदन में आकर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने मनोज झा को अपना मित्र बताया।