नयी दिल्ली, देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के मामलों की बढ़ती संख्या, मरीजों के ठीक होने की दर और नमूने जांच की रफ्तार के आधार पर रेड और ग्रीन जोन के बारे में नये दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या को देखते हुए सरकार ने रेड और ग्रीन जोन के बारे में नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं और इनमें कोरोना के कुल मामलों की संख्या तथा उनके दुगुना होने की दर प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा वहां नमूने जांच की दर और जनसंख्या घनत्व को भी ध्यान में रखा जाना है। इसी को देखते हुए रेड और ओरेंज जोन को पुन: परिभाषित किया गया है। इन क्षेत्रों में विषाणु संक्रमण को रोकने के लिए उपयुक्त ‘कंटेनमेंट स्ट्रैटिजी’ अपनाई जानी जरूरी है। इस कंटेनमेंट जोन के बाहर के क्षेत्र को घेरकर उपयुक्त रणनीति बनाई जानी है लेकिन अगर इसके बाहर के क्षेत्र यानी बफर जोन में कोई भी केस नहीं आ रहा है और इसके बाहर के क्षेत्र में कुछ गतिविधियों में छूट दी जा सकती है।
किसी भी राज्य अथवा जिले चाहे वे रेड जोन हो या ओरेंज जोन हो, उन सभी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए ‘कड़े कदम’ उठाये जाने जरूरी है क्योंकि इस वायरस का प्रसार रोकने के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है।
उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया है कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी को विश्व में कहीं भी मान्य उपचार के तौर पर पुष्टि नहीं हुई है और यह सिर्फ ट्रायल के तौर पर ही की जा रही है तथा दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना यह घातक साबित हो सकती है।
महाराष्ट्र में एक कोरेाना मरीज के प्लाज्मा थेरेपी से मौत होने से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए श्री अग्रवाल ने बताया कि विश्व के अनेक देशों में कोरोना महामारी से निपटने पर शोध और अनेक कार्य हो रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी कारगर वैक्सीन अथवा दवा का पता नहीं चल सका है। देश में कई स्थानों पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है लेकिन इसका उपयोग भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा- निर्देशों के तहत ही होना चाहिए और इसके लिए “ ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ से मंजूरी लेनी जरूरी है। इसी के बाद ही यह प्रकिया शुरू की जानी है।
गौरतलब है कि देश में अब तक कोरोना वायरस के 1993 नए मामले सामने आये हैं तथा 73 मरीजों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1147 हो गयी है।
देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस के अब तक कुल 35043 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें 111 विदेशी मरीज शामिल हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की रफ्तार भी तेज हुई है और अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित 564 लोगों के स्वस्थ होने के साथ ऐसे लोगों की संख्या 8888 पर पहुंच गयी है। मरीजों के ठीक होने की दर 25़ 37 प्रतिशत हैं।
नये दिशा निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि देश भर के रेड जोन में पूर्णबंदी को सख्ती से लागू किया जायेगा और इनमें मेडिकल इमरजेंसी और आवश्यक सामान तथा सेवाओं को छोड़कर अन्य किसी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दी जायेगी।
हवाई , रेल और मेट्रो यात्रा के साथ साथ सड़क मार्ग से अंतर्राज्यीय आवागमन पर पहले की तरह पूरे देश में प्रतिबंध रहेगा और इनके संचालन की अनुमति ग्रीन जोन में भी नहीं दी जायेगी। इसके अलावा स्कूल, कालेज , शिक्षण, प्रशिक्षण और कोचिंग संस्थान , होटल, रेस्तरां , सिनेता हाल, माल , जिम,खेल परिसर और भीड़ भाड़ वाली अन्य जगह भी पहले की तरह पूरे देश में बंद रहेंगी।
साथ ही सभी सामाजिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक सभाओं, पूजा स्थलों और अन्य तरह की सभाओं के आयोजन पर भी रोक रहेगी। गृह मंत्रालय की अनुमति से कुछ चुनिंदा और जरूरी मामलों में ही हवाई, रेल और सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकेगी।
सुश्री श्रीवास्तव ने बताया कि फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने ने 62 लाख टन गेंहूं और चावल उठाया है और रेलवे ने 13 लाख वैगन तथा 26972 रैक्स द्वारा आवश्यक माल की ढुलाई की है। इसके अलावा नागर विमानन मंत्रालय 416 लाइन लाइन उडा़नों के जरिए 781 टन मेडिकल कार्गों की आपूर्ति कर रहा है।
इस दौरान उन्होंने विभिन्न अर्द्धसैनिक बलों की ओर से कोरोना से निपटने के लिए किए गए सहयोग की भी चर्चा करते हुए कहा कि इन बलों ने अपने 32 अस्पतालों में 1900 बेड रिजर्व कर रखे हैं और अनेक क्षेत्रों में क्वारंटीन सेंटर बनाए हैं तथा आम लोगों को जागरुक बनाया है और रक्तदान शिविरों का आयोजन भी किया है।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने रायपुर में एक लाख किलोग्राम चावल का वितरण किया है और सशस्त्र सीमा बल ने भारत नेपाल सीमा पर फंसे नेपाली नागरिकों की मदद की है। सीमा सुरक्षा बल ने 300 गांवों में जरूरत का सामान मुहैया कराया है। पाकिस्तान सीमा पर एसएसबी ने किसानों के उपकरणों को सेनिटाइज करने में मदद की है और बीएसएफ ने मेघालय में गांवों में चारा और मोबाइल एटीएम की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसके अलावा गश्त भी बढ़ाई गई है।
भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने अनेक क्षेत्रों में कोरोना मरीजों के लिए क्वारंटीन सुविधा केन्द्रों को बनाया है और इस बल ने देश में पहले कवारंटीन केन्द्र की स्थापना की थी। असम रायफल ने किसानों की फसल खरीद में मदद की है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने हबलेस सेटेलाइट टर्मिनल की स्थापना कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद की है और एनडीआरएफ ने अब तक 61 हजार लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में जागरूक बनाया है।