नई दिल्ली, भारत में प्रीमियम एवं किफ़ायती हाइजीन समाधान उपलब्ध कराने वाली अग्रणी प्रदाता नाईन सैनिटरी नैपकिन्स ने देश के पहले पीएलए-आधारित बायोडीग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स लॉन्च किया है। ये पैड सीआईपीईटी-सर्टिफाईड हैं, जिसके चलते पैड का 90 फीसदी हिस्सा 175 दिनों के अंदर और शेष हिस्सा 1 साल के अंदर डीकंपोज़ हो जाता है। बाहरी कवर और डिस्पोज़ेबल बैग सहित पूरी पैकेजिंग बायोडीग्रेडेबल है। ये पैड नियमित सैनिटरी पैड की तुलना में अवशोषण, आराम और रिसाव संरक्षण में असाधारण प्रदर्शन प्रदान करते हैंI
इसके अलावा ये पैड 100 फीसदी कैमिकल्स से रहित और वेगन हैं तथा सुरक्षित एवं स्थायी विकल्प हैं। नवीकरणीय स्रोतों जैसे स्टार्च और गन्ने से मिलने वाला पीएलए, बायोडीग्रेडेबल एवं कम्पोस्टेबल पॉलिमर है। जो गैर-नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता कम करने की नाईन की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। प्रतिष्ठित सीआईपीईटी (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी) सर्टिफिकेशन के साथ नाईन ने उद्योग जगत में नए मानक स्थापित किए हैं। यह सर्टिफिकेशन पर्यावरण के अनुकूल आधुनिक सैनिटरी प्रोडक्ट्स बनाने की नाईन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लॉन्च समारोह के अवसर पर नाईन के संस्थापक अमर तुलसीयान, फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2023- नंदिनी गुप्ता, फेमिना मिस इंडिया 2023- पहली रनर-अपः श्रेया पूंजा, फेमिना मिस इंडिया 2023- दूसरी रनर-अप- थोनाओजम स्ट्रेला लुवांग मौजूद रहे।
भारत को हर माह 1.021 बिलियन सैनिटरी नैपकिन्स के निपटान की चुनौती से जूझना पड़ता है। इन पैड्स को बनाने में भारी मात्रा में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, जिसे पूरी तरह से डिकंपोज़ होने में 500-800 साल लग जाते हैं। निपटान के सही तरीकों को न अपनाने, जैसे इन्हें जला देने, शौचालय में फ्लश करने या लैण्डफिल में छोड़ने से- पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है, साथ ही ये तरीके सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए भी घातक होते हैं। इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए नाईन ने पर्यावरण के अनुकूल सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाया है। ये नैपकिन पर्यावरण के अनुकूल सामग्री जैसे लकड़ी के गूदे, रेज़िन एवं ऑयल, पीएलए-आधारित सामगी्र्र से बनाए जाते हैं। ये सीआईपीईटी एवं आईएसओ जैसे संस्थानों द्वारा निर्धारित बायोडीग्रेडेबिलिटी के सर्वोच्च मानकों का अनुपालन करते हैं।
उल्लेखनीय है कि नाईन के पैड बेहतर प्रभाविता के साथ डीकंपोज़ हो जाते हैं, चाहे उन्हें पर्याप्त मात्रा में धूप और हवा न मिले। ऐसे स्थायी समाधानों के माध्यम से नाईन इस्तेमाल हो चुके सैनिटरी नैपकिन्स के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करना चाहता है, ताकि सभी के लिए स्वस्थ पर्यावरण को सुनिश्चित किया जा सके।
लॉन्च के अवसर पर नाईन सैनिटरी नैपकिन्स के संस्थापक अमर तुलसीयान ने कहा, ‘‘पांच साल पहले हमारे सामने एक चुनौतीपूर्ण सवाल खड़ा थाः ‘क्या आप स्थायी समाधान बना सकते हैं?’ आज हम गर्व के साथ इस सवाल का जवाब लेकर आए हैं। गहन अनुसंधान, विकास और सर्टिफिकेशन्स के बाद हमने बायोडीग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन लॉन्च किए हैं- जो एक बेहतर कल के निर्माण में योगदान देंगे। खास बात यह है कि हमारी यह उपलबिध यूएन के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप सभी के लिए स्वच्छ पर्यावरण पर ज़ोर देती है। हमें गर्व है कि हमने लोगों को सशक्त बनाने के लिए स्थायित्व की दिशा में यह कदम बढ़ाया है।’’
इस मौके पर नाईन ने ‘एम्पावरिंग वुमेन एण्ड द प्लेनेटः हाओ बायोडीग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स आर चेंजिंग द गेम’ विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन भी किया। इस चर्चा में बायोडीग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स के सकारात्मक प्रभावों पर रोशनी डाली गई।
नाईन भारत में बड़ा बदलाव लाने वाला ब्राण्ड है, जो पीएलए- आधारित टॉपशीट से युक्त देश का पहला बायोडीग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन लेकर आया है। ये नैपकिन सुरक्षित, शुद्ध एवं त्वचा के अनुकूल सामग्री से बनाए जाते हैं, जो कॉटन जैसा मुलायम अहसास देते हैं। शानदार मास्किंग और तेज़ एर्ब्ज़ाप्शन के साथ नाईन लीकेज से सुरक्षा और सूखेपन का अहसास देते हैं। ये पैड रसायनों और आर्टीफिशियल फ्रैगरेन्स से रहित हैं, ऐसे में ये संवेदनशील त्वचा के लिए भी अनुकूल हैं। ये पैड वेगन और एक्स्ट्रा लोंग हैं, हर पैड एक डिस्पोज़ेबल बैग के साथ आता है और हैवी फ्लो के दिनों में भी लीकेज से सुरक्षा देता है। स्थायित्व के लिए प्रतिबद्धता के साथ नाईन ने इटली, जर्मनी और यूएसए के इंटरनेशनल सप्लायर्स के साथ साझेदारियां की हैं, जो कम्पोस्टेबिलिटी के लिए सख्त मानकों को अनुपालन करते हैं। बड़े पैमाने की उत्पादन क्षमता के साथ नाईन भारत में सैनिटरी नैपकिन की उत्पादन प्रणाली में बदलाव लाने और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए तत्पर है।
रिपोर्टर-आभा यादव