नोटबंदी के बाद एक साल में विदेशी बैंकों में पहुंचे, इतने हजार करोड़ रूपये?
May 5, 2019
नयी दिल्ली, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने की बात करने और कैशलेस समाज की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद एक साल में सात हजार करोड़ रुपए विदेशी बैंकों में जमा हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नोटबंदी के बाद बहुत बड़ा घोटाला हुआ है।
सोशल मीडिया में इस संबंध में एक वीडियो चल रहा है जिसके एक दृश्य में भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर का एक सुरक्षा अधिकारी कह रहा है कि उसे नोटों से भरी एक वैन को बिना जांच के अंदर आने के लिए पार्टी के कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल का फोन आता है और वैन में लाया गया सारा कैश भाजपा दफ्तर की पहली मंजिल के स्ट्रांग रुम में जमा करा दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी का मकसद कैशलेस को बढ़ावा देना बताया था लेकिन वह मकसद पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के डाटा के अनुसार 2014 में 7.8 लाख करोड़ रुपए की नकदी प्रचलन में थी जो 2018 में 18.5 लाख करोड़ हो गई थी। नोटबंदी के समय 2016 में बाजार में नकदी 17.97 लाख करोड़ थी जो अब बढकर 21.42 लाख करोड़ हो गई है।प्रवक्ता ने सवाल किया कि नोटबंदी के बाद अगर नकदी का प्रचलन ढाई लाख करोड रुपए से ज्यादा बढ़ जाता है तो नोटबंदी कर लोगों को परेशान करने का क्या औचित्य था।
मोदी तब कैशलेस सोसायटी बनाने की बात करते थे लेकिन बाद में हुआ इसके ठीक उलट। आज प्रचलन में 21 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए के नोट हैं और इतने अधिक नोट पहले कभी प्रचलन में नहीं रहे। उन्होंने कहा कि यदि काला धन विदेशी बैंकों में जमा होना नहीं रुका, कालेधन का खात्मा नहीं हुआ, आतंकवाद का खात्मा नहीं हुआ और कैशलेस सोसायटी का निर्माण नहीं किया जा सका तो फिर किसलिए नोटबंदी की घोषणा की गयी थी। नोटबंदी की जो भी वजह सरकार ने बतायी थी वह हुआ ही नहीं है।