लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजनीति में मोहम्मद आजम खां एक बड़ा नाम है। सपा सरकार में वह मिनी मुख्यमंत्री के नाम से जाने जाते थे। राजनैतिक दबदबे आलम ये है कि रामपुर और आसपास की सीटों पर उनकी चाल से बड़े-बड़े सूरमा चित हो जाते थे, लेकिन राजनीति की पिच पर कानूनी पटखनी से उनके पूरे परिवार का राजनैतिक भविष्य अब खतरे में हैं।
आजम खां रामपुर से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। उनकी पत्नी तजीन राज्यसभा सांसद व बेटा अब्दुल्ला आजम विधायक रह चुके हैं। ऐसा पहला मौका होगा जब आजम परिवार का कोई सदस्य किसी भी सदन का सदस्य नहीं होगा। आजम व उनके बेटे की विधायकी जा चुकी है। वह छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। साथ ही दोनों को वोट देने का अधिकार भी खत्म हो चुका है।
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि उनके कुनबे की रामपुर में राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? आजम अपनी राजनीतिक विरासत किसे सौंपेंगे और कौन उनका झंडा लेकर आगे चलेगा। अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है। आजम अब किस पर दांव लगाएंगे?
रामपुर में हुए लोकसभा और विधानसभा के उप चुनाव में आजम खां के करीबी आसिम रजा को मैदान में उतारा गया था, लेकिन वह दोनों चुनाव हार गए। ऐसे में यह सवाल उठाता है कि आजम खां अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए कौन सा नया दांव चलते हैं। पारिवारिक सदस्य को मैदान में उतारते हैं या करीबी को आगे बढ़ाते हैं। आसिम रजा का हाल देखकर इस बार लगता है कि आजम खां अपने पारिवारिक सदस्य को ही मैदान में उतारेंगे। ये उनका नया प्रयोग होगा।
जहां तक पारिवारिक सदस्यों की बात है तो आजम खां , उनकी पत्नी तजीन व बेटा अब्दुल्ला आजम को बाद दो ही पारिवारिक सदस्य चुनाव लड़ सकतें हैं। एक आजम खान के बड़े बेटे अबीद खान और दूसरी अबीद खान की पत्नी सिदरा। आजम के बड़े बेटे अबीद खान की राजनीति में रूचि नही है, लेकिन अबीद खान की पत्नी सिदरा राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय हैं। सिदरा अदीब अजम खान की बहू हैं। वे आजम खान और अब्दुल्ला आजम के जेल जाने के बाद वर्ष 2020 से क्षेत्र के लोगों के बीच काफी सक्रिय रही थीं। रामपुर के राजनीतिक मैदान में सिदरा खान जानी-पहचानी चेहरा हैं। आजम खान की गैर-मौजूदगी में उन्होंने ही उनका पूरा कैंपेन संभाल रखा था। आजम के जेल से बाहर आने और रामपुर लोकसभा सीट छोड़ने के बाद सिदरा को उनकी विरासत को संभालने का उत्तराधिकारी माना गया था। हालांकि, आजम खान ने उनके नाम को आगे नहीं बढ़ाया। लेकिन अब चर्चा यही है कि आजम खान अपनी राजनैतिक विरासत अपनी बहू को सौंप सकते हैं।
सिदरा खान को आगे करके अखिलेश यादव भी मुस्लिम महिलाओं के वोट बैंक के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहेंगे। आजम खान के इतर समाजवादी पार्टी के पास एक अलग मुस्लिम चेहरा होगा। विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की सभी 10 विधानसभा सीटें जीतने वाली सपा यहां आसानी से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की रणनीति पर काम करती दिख रही है।