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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल झटका लगा है, अब उन्हे अपनी स्ट्रैटजी में बदलाव करना होगा। स्विट्जरलैंड की स्थिति इंडिया के लिए सबसे सरप्राइजिंग मानी जा रही है। क्योंकि वहां के प्रेसिडेंट जॉन श्नाइडर ने नरेंद्र मोदी से सपोर्ट का वादा किया था। मोदी हाल ही में पांच देशों के दौर पर गए थे जिनमें स्विट्जरलैंड भी शामिल था। उस दौरान उन्होंने प्रेसिडेंट जॉन श्नाइडर से मुलाकात की थी। लेकिन स्विट्जरलैंड ने भी यू-टर्न लेकर चीन का साथ दिया।
भारत एनएसजी बिड के लिए चीन को ही बड़ा विरोधी मान रहा था, लेकिन छोटे देशों को लेकर उसकी स्ट्रैटजी धारदार नहीं थी। चीन से सुषमा, जयशंकर और मोदी खुद डील कर रहे थे, लेकिन स्विटजरलैंड, न्यूजीलैंड, तुर्की जैसे देशों के लिए कोई सॉलिड एक्शन प्लान नहीं था। चीन ने भारत से बातचीत करने के दौरान ही छोटे देशों को NPT का मुद्दा उछालकर अपने साथ कर लिया। भारत का विरोध करने वालों में चीन, स्विट्जरलैंड, साउथ अफ्रीका, नॉर्वे, ब्राजील, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की शामिल हैं।
दो दिवसीय एनएसजी पूर्ण सत्र मे जापान ने भारत को मेंबरशिप देने का मुद्दा उठाया। सूत्रोँ की मानें तो NSG के 48 में से 38 देश भारत के सपोर्ट में थे।काफी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया और भारत के आवेदन पर सकारात्मक जवाब दिया। फिर भी भारत की नाकामयाबी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झटका लगा है, अब उन्हे अपनी डिप्लोमेसी की ताकत पता चल गई।