नयी दिल्ली, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया और डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट फोरम ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि ताकतवर राजनेता और कॉर्पोरेट जगत के लोग मानहानि के मामलों का दुरुपयोग मीडिया को डराने-धमकाने के लिए करते हैं।
कोर्ट ने कहा है कि रिपोर्टिंग में मात्र कुछ गलतियां अभियोजन पक्ष को यह अधिकार नहीं देती कि उसे अपराधी ठहराया जा सके। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन ने अपने फैसले में कहा है कि शक्तिशाली राजनेता और कॉर्पोरेट मानहानि के मामलों का दुरुपयोग मीडिया के खिलाफ डराने-धमकाने के हथियार के रूप में कर रहे हैं।
एनयूजे (आई) के अध्यक्ष रास बिहारी और महासचिव प्रसन्ना मोहंती तथा डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष अनुराग यादव ने जारी बयान में कहा कि एनयूजे (आई) मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता है। यह निर्णय मीडिया की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कोर्ट का यह फैसला उन लोगों को सबक सिखाने वाला साबित होगा जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दबाव डालकर और भय का वातावरण पैदा कर प्रेस की स्वतंत्रता को दबाते हैं।
उन्होंने बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को और मजबूत करते हुए न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि उच्च न्यायपालिका को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। यह रिकॉर्ड का विषय है कि पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करना कॉर्पोरेट निकायों और शक्तिशाली राजनेताओं का एक साधन बन गया है।
डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष अनुराग यादव ने कहा कि न्यायपालिका का संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी को बनाये रखने मे अहम भूमिका है। शक्तिशाली राजनेता और कॉर्पोरेट अपने खिलाफ उठती हर आवाज को खामोश करने के लिये प्रयत्नशील हैं और जर्नलिस्ट हमेशा उनकी आंख की किरकिरी बने रहतें हैं।
न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने कहा कि हमेशा गलती का एक मार्जिन हो सकता है। तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर प्रत्येक मामले में मीडिया को इस बचाव का लाभ उठाने का हक है। रिपोर्टिंग में मात्र गलतियां अभियोजन के आरोपों को सही नहीं ठहरा सकते।