लखनऊ, सांसद बृजलाल ने आज दलितों, पिछड़ों के हितैषी, क्षत्रपति शाहू जी महाराज के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा पर श्रधासुमन अर्पित किये। साथ ही कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर सांसद बृजलाल ने कहा कि धन्य थे क्षत्रपति शाहू जी महाराज, जो शासक के वेष में बहुत बड़े समाज सेवक थे। उन्हे कोटि- कोटि नमन।
उन्होने बताया कि 1902 में दलितों- पिछड़ों को आरक्षण देकर उन्होंने ने संविधान में आरक्षण की राह प्रशस्त की।
कोल्हापुर राज्य के शासक महाराज शाहू जी के महल में गंगा राम काम्बले एक दलित सेवक थे, और राज महल परिसर में ही रहते थे। महाराज जब बाहर गये थे, तो शांता राम मराठा सैनिक ने गंगा राम की , तालाब के पानी को छूने के आरोप में पिटाई कर दी। जब महाराज को लौटने पर जानकारी हुई तो उन्होंने सैनिक को दंडित किया।
महाराज ने गंगा राम को पैसे देकर कोल्हापुर में चाय की दुकान खुलवा दी, लेकिन एक दलित की दुकान से कोई चाय पीता ही नहीं था। शाहू जी महाराज ने संदेश प्रसारित कराया क़ि वे गंगा राम काम्बले की दुकान पर आकार चाय पियेंगे।
पिछले शताब्दी की शुरुआत में यह अकल्पनीय था की कोई सवर्ण हिंदू दलित का बनाया चाय पी सकता है। यहाँ तो महाराजा खुद दलित का चाय पीने जा रहे थे।
कोल्हापुर के लोगों को विश्वास नहीं हुआ और सभी लोग कौतूहल बस वहाँ पहुँच गये। महाराज ने गंगा राम की चाय खुद पी और दरबारियों को पिलाया। उन्होंने सोडा बनाने के लिए गंगा राम को पैसे दिये।
देश में सबसे पहले 1902 में क्षत्रपति शाहू जी महाराज ने कोल्हापुर रियासत में दलितों- पिछड़ों को सेवा में आरक्षण दिया। महाराज बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर को भी प्रोत्साहित करते थे। महाराज की यह पहल ही थी, जिससे भारतीय संविधान में बाबा साहब द्वारा दलितों को आरक्षण दिया गया।