नयी दिल्ली, भारत ने नेपाल सरकार द्वारा एकतरफा ढंग से नया मानचित्र जारी करके कालापानी, लिपुलेख क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा दर्शाये जाने पर आज कड़ी नाराज़गी प्रकट की और आरोप लगाया कि नेपाल का नेतृत्व सीमा मसले पर द्विपक्षीय राजनयिक संवाद के लिए माहौल को खराब कर रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने नेपाल के कदम के बारे में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि नेपाल सरकार ने आज नेपाल का संशोधित आधिकारिक मानचित्र जारी किया है जिसमें भारतीय क्षेत्र को शामिल किया है। यह एकतरफा कार्रवाई ऐतिहासिक तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। यह कदम लंबित सीमा मसलों के राजनयिक संवाद के माध्यम से समाधान की द्विपक्षीय सहमति के विपरीत है। ऐसे कृत्रिम ढंग से किये गये प्रादेशिक दावों को भारत स्वीकार नहीं करेगा।
श्री श्रीवास्तव ने कहा कि नेपाल इस बारे में भारत के सतत रुख से अच्छी तरह से परिचित है और हम नेपाल सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह इस प्रकार के गैर न्यायोचित मानचित्रीकरण से बचे और भारत की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता का सम्मान करे। उन्होंने कहा, “हम आशा करते हैं कि नेपाली नेतृत्व लंबित सीमा मसले के समाधान की खातिर राजनयिक संवाद का सकारात्मक वातावरण बनायेगा।”
भारत ने हाल के दशकों में नेपाल को लेकर शायद ही इतना सख्त बयान इससे पहले कभी दिया हो। भारत ने इस बयान में नेपाल के नेतृत्व दो कड़े संकेत भी दिये हैं। पहला – अगर नेपाल अपने रुख में बदलाव नहीं लाता है तो लॉकडाउन खुलने के बाद प्रस्तावित विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला की काठमांडू यात्रा पर पुनर्विचार किया जा सकता है तथा दूसरा – दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध खड़ा हो सकता है।
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने हाल में कहा था कि नेपाल का नेतृत्व किसी बाहरी इशारे पर कालापानी एवं लिपुलेख क्षेत्र पर सीमा विवाद खड़ा कर रहा है। उनका संकेत चीन की ओर था।