गुजरात का विश्वस्तरीय नजराना, फॉसिल पार्क-डायनासोर म्युजियम का हुआ लोकार्पण
June 9, 2019
नडियाद, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने महिसागर जिले के बालासिनोर तहसील के रैयाली में देश के पहले और विश्व के तीसरे फॉसिल पार्क.डायनासोर म्यूजियम का लोकार्पण किया।स्टेच्यु ऑफ युनिटी के बाद गुजरात का यह दूसरा विश्वस्तरीय नजराना है।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस अवसर पर कहा कि राज्य के इस डायनासोर म्यूजियम और फॉसिल पार्क को थ्रीडी टेक्नोलॉजी और आधुनिक तकनीक के साथ विश्व पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि आवंटित की जाएगी। उन्होंने कहा कि गुजरात के पर्यटन विकास में और एक नया अध्याय जुड़ गया हैए जो गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि विश्व के पर्यटन नक्शे पर गुजरात के पर्यटन धामों के साथ अब यह म्यूजियम भी चमका है।
करीब साढ़े छह करोड़ वर्ष पूर्व महिसागर तहसील. बालासिनोर के रैयाली गांव के महाकाय डायनासोर की विभिन्न प्रजातियां अस्तित्व में थी। इसके जीवाश्म ;फॉसिलद्ध ठंडे होकर पत्थर बन चुके अंडों और विभिन्न संशोधनों को शामिल कर विश्व का तीसरा और भारत का सर्वप्रथम डायनासोर जीवाश्म उद्यान बनाया गया है। छोटे से रैयाली ने जीवाश्म संशोधन नक्शे में अपना नाम अंकित किया है। उद्यान के साथ ही आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का उपयोग कर 10 गैलेरी वाला संग्रहालय निर्मित किया गया है। यह पार्क लुप्त हो चुकी प्रजाति डायनासोर के उद्भव से लुप्त होने तक के इतिहास की जानकारी देगा। गुजरात पर्यटन निगम द्वारा विकसित इस स्थल को विश्व पर्यटन नक्शे में स्थान मिला है।
उन्होंने कहा कि इस म्यूजियम और फॉसिल पार्क से स्कूली बच्चों से लेकर डायनासोर की सृष्टि में रूचि रखने वाले विशेषज्ञों और पुरातत्वविदों को इन जीवाश्मों की अनेक गाथाएं जानने को मिलेंगी। रैयाली अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ है इसलिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि गुजरात की ऐतिहासिक धरती पर हड़प्पा की संस्कृति से लेकर लोथल. धोलावीरा सहित अन्य स्थलों से भी प्राचीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी का भी उल्लेख है। गुजरात में डायनासोर के अवशेष भी बालासिनोर की धरती पर मिले हैंए जिसे उजागर कर पर्यटन निगम ने गुजरात और दुनिया को नजराना प्रदान किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टीवन स्पीलबर्ग ने जुरासिक पार्क नामक फिल्म बनायी थी। वर्ष 1993 में रिलीज़ इस फिल्म हर आयु के व्यक्ति को रोमांचित कर दिया था। लोगों ने पहली बार विशालकाय छिपकली जैसे प्राणी डायनासोर को सिनेमा के पर्दे पर निहारा था। अब तक जो रोमांच हम सबने सिर्फ फिल्मों में और टीवी पर देखा थाए वही रोमांच गुजरात में इस पार्क में देख सकेंगे और जानकारी भी हासिल कर सकेंगे।
अस्सी के दशक में रैयाली में खुदायी के दौरान क्रिस्टेशियश युग के डायनासोर के अंडे और अवशेष मिले थे। संशोधकों ने यहां नयी प्रजाति के अवशेष खोज निकाले थे। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार डायनासोर जीवाश्म का एक अद्भुत संग्रह रैयाली में है। विश्व के अन्य भागों में जो डायनासोर के अवशेष मिले हैं, उनकी तुलना में रैयाली में मिले विभिन्न प्रकार के डायनासोर के अवशेष अति दुर्लभ और संशोधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। माना जाता है कि ये अवशेष साढ़े छह करोड़ वर्ष पुराने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन अंडों के काल की गणना का अभ्यास करने पर पता चला कि भारत की जीवसृष्टि और संस्कृति छह हजार करोड़ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है। विशालकाय डायनासोर लगभग 6.5 करोड़ वर्ष का इतिहास बताते हैं।