आखिर क्यों उपेक्षित है योग प्रणेता, महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली
June 20, 2019
गोण्डा, समूची दुनिया 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी में जुटी हैं वहीं योग के जनक माने जाने वाले महायोगी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी बदहाली का दंश झेलने को मजबूर है।
उत्तर प्रदेश मेें देवी पाटन मंडल के गोण्डा जिले में वजीरगंज ब्लाक के कोडर गांव मे स्थित इस ऐतिहासिक धरोहर को देश के पर्यटन मानचित्र में लाने की मांग दशकों से की जा रही है लेकिन योग प्रणेता की जन्मस्थली के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। महर्षि पतंजलि न्यास के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य ने कहा कि योग को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थान दिलाने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयास प्रशंसनीय है लेकिन योग प्रणेता की जन्मस्थली के प्रति केन्द्र और राज्य सरकार का उपेक्षित रवैया समझ के परे है।
उन्होने कहा कि सरकारों की उपेक्षा के कारण बदतर हालत में पड़ी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली की बदहाली पर किसी का ध्यान आकर्षित नही है। संयुक्त राष्ट्र ,यूनेस्को और भारत सरकार ने महायोगी पतंजलि का जन्मस्थान गोण्डा को माना है। मान्यताओ के अनुसार ,विक्रम संवत दो हजार वर्ष पूर्व श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को महर्षि पतंजलि ने गोनर्द (गोंडा का प्राचीन नाम) की पावन धरती पर जन्म लिया। उनकी माता का नाम गोणिका था।
महर्षि ने काशी को बनारस के नागकुआ के पास अपनी कर्मभूमि बनायी।
उन्होने अपने ग्रंथ महाभाष्य मे स्वयं को कई बार गोनर्दीय कहा है।
पतंजलि के जन्मस्थान के जीर्णोंद्धार के लिये कई बार सरकार से अनुरोध किया गया लेकिन अभी तक यहाँ किसी प्रकार के विकास या जीर्णोंद्धार की घोषणा नहीं हो सकी है।
महायोगी की जन्मभूमि कैसरगंज संसदीय क्षेत्र और तरबगंज विधानसभा क्षेत्र में स्थित है जिनमें सत्तारूढ़ भाजपा के जनप्रतिनिधि हैं।
इसके बावजूद ऐतिहासिक स्थल पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
यहां तक योगगुरू स्वामी रामदेव की पतंजलि योगपीठ ने भी कोडर गांव की ओर दृष्टि तक नही डाली है।
स्वामी ने बताया कि पिछली अखिलेश सरकार ने जिले के कर्नलगंज तहसील क्षेत्र मे महर्षि पतंजलि सूचना प्रौद्योगिकी एवं पालीटेक्निक कॉलेज का निर्माण शुरू कराया जबकि पिछले वर्ष नगर के वेण्क्टाचार्य क्लब के प्रांगण में स्थित महर्षि पतंजलि स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स की शुरुआत करायी गयी है।
उन्होने बताया कि कोडर गांव मे स्थित झील की हालत बदतर है। यहाँ दूर दराज से आने वाले आगंतुकों के लिये कोई आश्रम या धर्मशाला ,स्वास्थ ,के लिये कोई सुविधा नही है।
उन्होने बताया कि शुद्ध पेयजल ,विद्युत ,खानपान व अन्य तमाम संसाधनों का नामों निशान तक नही है। इस संबन्ध मे केन्द्र एवं राज्य सरकारों को पत्र के माध्यम से कई बार न्यास समिति ने अनुरोध किया।
बहरहाल स्थानीय संसाधनों को एकत्र कर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कोडर झील के किनारे योग शिविर का कार्यक्रम आयोजित कर संगोष्ठी करायी जाती है।