
राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित इस योजना के लिए बड़ी राशि का ऐलान कर इसके लिए धन भी आवंटित किया गया, लेकिन इस राशि को वापस कर दिया गया है और इस तरह प्रधानमंत्री की यह योजना भी जुमला बनकर रह गई है।
राहुल गांधी ने कहा, “2024 के चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे युवाओं को रोजगार देने का वादा करते हुए बहुत धूमधाम से ‘रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन’ योजना की घोषणा की। यह घोषणा किए हुए लगभग एक साल हो गया है, सरकार ने इसे परिभाषित भी नहीं किया है और इसके लिए आवंटित 10,000 करोड़ रुपये वापस कर दिए हैं। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री बेरोजगारी को लेकर कितने गंभीर हैं।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मेरे इन विचारों से श्री मोदी सहमत नहीं होंगे लेकिन यह पक्का है कि केवल बड़े कॉरपोरेट्स पर ध्यान केंद्रित करके, निष्पक्ष व्यवसायों की तुलना में कुछ पूंजीपतियों को बढ़ावा देकर उत्पादन की तुलना में जोड़तोड़ के निर्माण को प्राथमिकता देकर और भारत के स्वदेशी कौशल की उपेक्षा करके नौकरियां पैदा नहीं की जा सकती। करोड़ों नौकरियां पैदा करने का तरीका एमएसएमई में बड़े पैमाने पर निवेश, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा वाला बाजार, स्थानीय उत्पादन नेटवर्क के लिए समर्थन और कौशल से लैस युवाओं के माध्यम से है।”
राहुल गांधी ने सवाल करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी, आपने बहुत दिखावे के साथ ईएलआई की घोषणा की – लेकिन यह 10,000 करोड़ की योजना कहाँ गायब हो गई। क्या आपने अपने वादों के साथ-साथ हमारे बेरोजगार युवाओं को भी छोड़ दिया है। आप हर दिन नए नारे गढ़ते हैं, लेकिन हमारे युवा अभी भी वास्तविक अवसरों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भारत को जिन करोड़ों नौकरियों की सख्त जरूरत है, उन्हें पैदा करने के लिए आपकी ठोस योजना क्या है या यह सिर्फ एक और जुमला है। आप अपना ध्यान अडानी और अपने अरबपति मित्रों को समृद्ध करने से हटाकर हाशिए पर पड़े समुदायों के युवाओं को रोजगार तक समान पहुँच सुनिश्चित करने पर कब लगाएंगे।”