नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के नाम पर धन एकत्रित करने के लिए कुछ महीने पहले जिस ‘प्रधानमंत्री केयर्स फंड’ का गठन किया है उसमें करीब दस हजार करोड़ रुपए चीन की विभिन्न कंपनियों ने दान में दिये हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में आपदा से निपटने के लिए लोग प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में जमा कराते रहे हैं और इसमें जमा की जाने वाली रशि में पारदर्शिता होती है और उसकी बाकायदा आडिटिंग होती है। भारतीय जनता पार्टी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस ने 2005-6 में इस कोष से 20 लाख रुपए राजीव गांधी फाउंडेशन में जमा कराए थे जिस पर कांग्रेस का कहना है कि इस पूरे पैसे का इस्तेमाल अंडमान निकोबार में आपदा से निपटने के लिए किया गया।
श्री सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री केयर्स फंड में पारदर्शिता नहीं है। इस फंड का गठन कोविड-19 के नाम पर नया फंड एकत्रित करने के लिए मोदी सरकार ने किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पैसे का आडिट नहीं होता है और यह सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के दायरे में भी नहीं आता है। इस निधि में जो पैसा आ रहा है उसके प्रति किसी की कोई जवाबदेही नहीं है और इसकी वजह यह है कि इसकी कोई आडिट नहीं होती और यह किसी के नियंत्रण में नहीं है।
उन्होंने कहा कि यहां अराजकता वाली स्थिति है। इस निधि में कहां से पैसा आ रहा है और यह पैसा कहां जा रहा है इसकी जवाबदेही किसी की नहीं है। उनका कहना था कि इस निधि में चीन की कंपनियों ने 9678 करोड़ रुपए यानी करीब दस हजार करोड रुपए जमा कराएं हैं। इन कंपनियों ने इस निधि में पैसा किसके कहने पर जमा कराया है यह जानकारी देश को दी जानी चाहिए।
प्रवक्ता ने चीनी कंपनियों से प्राप्त निधि का ब्योरा देते हुए कहा कि इसमें सात करोड़ रुपए चीनी कंपनी हुवाई ने जमा कराए हैं जबकि दूसरी चीनी कंपनी टिकटॉक ने 30 करोड रुपए दिए है। डिजिटल भुगतान करने वाली पेटीएम ने 100 करोड रुपए दिये हैं, इस कंपनी के 38 प्रतिशत शेयर पर चीन का कब्जा है। जियोमी कंपनी ने 15 करोड रुपए का दान दिया है जबकि एक और चीनी कंपनी ओपो ने एक करोड रुपए दिये हैं। पीएम केयर फंड में दान देने वाली ये सभी चीनी कंपनियां हैं।
उन्होंने कहा कि चीन के प्रति श्री मोदी तथा भाजपा नेताओं का प्रेम जग जाहिर है। चीन के प्रति श्री मोदी का कितना मोह है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वह चीन के राष्ट्रपति से अब तक 18 बार मिल चुके हैं और नौ बार चीन की यात्रा कर चुके हैं।