नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी के बारे में सुझाव देते हुए कहा कि “अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने से उम्मीदों का दबाव खत्म किया जा सकता है।”
उन्होंने क्रिकेट के खेल का उदाहरण देते हुए कहा कि दर्शक बल्लेबाज से चौके-छक्के की मांग करते रहते हैं, पर उसका ध्यान अपने खेल पर केंद्रित रहता है।
श्री मोदी ने कहा, “ एक परीक्षा जीवन का अंत नहीं है और परिणामों के बारे में अधिक सोचना रोजमर्रा की जिंदगी का विषय नहीं बनना चाहिए। ”
उन्होंने कहा, “ हमें परीक्षा के तनाव को कम करना चाहिए और इसे उत्सव में बदलना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2023 में’ छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत में युवाओं को यह भी सुझाव दिया कि उन्हें मन ताजा रहने पर ऐसे विषय को पढ़ना चाहिए जिसमें उनकी दिलचस्पी कम से कम है और जो विषय उनें सबसे कठिन लगते हैं। यह उनके इस कार्यक्रम का छठा संस्करण है।
साक्षात और वीडियो कांफ्रेंसिग दोनों तरीके से आयोजित इस चर्चा में मुख्य आयोजन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया था जहां विद्यार्थियों के बीच प्रधानमंत्री साक्षात उपस्थित थे। इसके अलावा देश के विभिन्न स्थानों से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने आन-लाइन सम्पर्क से इस चर्चा में हिस्सा लिया।
श्री मोदी ने विद्यार्थियों को मेहनत और इमानदारी की राह पर चलने की सलाह देते हुए कहा “धोखाधड़ी आपको जीवन में कभी सफल नहीं बनाएगी।” साथ ही उन्होंने कहा कि “कड़ी मेहनत को चतुराई से और उन क्षेत्रों पर करना चाहिए जो महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकतर लोग साधारण व्यक्ति होते हैं पर “ यही साधारण लोग जब असाधारण कार्य करते हैं तो नई ऊंचाइयों को छूते हैं। ”
उन्होंने अपनी सरकार की आलोचनाओं पर भी चर्चा की और कहा कि आलोचनाओं को चुनौती के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। आलोचना एक समृद्ध लोकतंत्र में शुद्धिकरण का काम करती है और यह लोकतंत्र की पहचान है।” पर उन्होंने यह भी कहा कि “आरोप और आलोचना में बहुत अंतर होता है।
उन्होंने युवाओं को इलेक्ट्रानिक यंत्रों पर अति निर्भरता से सावधान रहने की सलाह दी और कहा “भगवान ने हमें स्वतंत्र इच्छा और एक स्वतंत्र व्यक्तित्व दिया है और हमें हमेशा अपने गैजेट्स के गुलाम बनने के बारे में सचेत रहना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “स्क्रीन पर लोगों का औसत समय बढ़ रहा है जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।”
उन्होंने देश के युवाओं से कम से कम एक क्षेत्रीय भाषा सीखने का प्रयास करके की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे आप केवल एक भाषा नहीं सीख रहे होते बल्कि बल्कि क्षेत्र से जुड़े इतिहास और विरासत के द्वार भी खोल रहे होते हैं।”
उन्होंने शिक्षकों और अभिभावकों से संबंधित विषय पर चर्चा करते हुए कहा, “मेरा मानना है कि हमें अनुशासन स्थापित करने के लिए शारीरिक दंड के रास्ते पर नहीं जाना चाहिए, हमें संवाद और तालमेल चुनना चाहिए।”
उन्होंने कहा , “माता-पिता को बच्चों को समाज में व्यापक अनुभवों से अवगत कराना चाहिए। ”
प्रधानमंत्री श्री तालकटोरा में कार्यक्रम से पहले वहां प्रदर्शित छात्रों की रचनात्मक कृतियां देखीं। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार चर्चा के इस संस्करण में इस वर्ष 155 देशों से लगभग 38.80 लाख पंजीकरण कराया था। प्रधान मंत्री ने उन लाखों सवालों की ओर इशारा किया जो कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सामने आए और कहा कि यह उन्हें भारत की युवा पीढ़ी के मन में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ये सवाल मेरे लिए खजाने की तरह हैं।
कार्यक्रम में तमिलनाडु के मदुरै से अश्विनी केंद्रीय विद्यालय की छात्रा, केवी, पीतमपुरा दिल्ली दिल्ली से नवतेज और पटना में नवीन बालिका स्कूल से प्रियंका कुमारी के खराब अंक के मामले में पारिवारिक निराशा के बारे में एक प्रश्न को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है परिवार की उम्मीदों के साथ। हालाँकि, यदि ये अपेक्षाएँ, उन्होंने कहा, सामाजिक स्थिति से संबंधित अपेक्षाओं के कारण हैं तो यह चिंताजनक है।
उन्होंने क्रिकेट के उस मैच का उदाहरण देते हुए जहां भीड़ चौके-छक्के के लिए गिड़गिड़ाती रहती है, प्रधान मंत्री ने कहा कि एक बल्लेबाज जो बल्लेबाजी करने जाता है, दर्शकों में इतने लोगों के एक छक्के या चौके के लिए अनुरोध करने के बाद भी बेफिक्र रहता है। प्रधानमंत्री ने क्रिकेट के मैदान पर बल्लेबाज के फोकस और छात्रों के दिमाग के बीच की कड़ी को रेखांकित करते हुए कहा कि अगर आप फोकस्ड रहते हैं तो उम्मीदों का दबाव खत्म हो सकता है।
केवी, डलहौजी की कक्षा 11वीं की छात्रा आरुषि ठाकुर से परीक्षा की तैयारी कहां से शुरू करें और तनावपूर्ण स्थिति के कारण भूलने की स्थिति के बारे में प्रश्नों को संबोधित करते हुए और कृष्णा पब्लिक स्कूल, रायपुर से अदिति दीवान से परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन के बारे में प्रश्नों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने परीक्षा के साथ या उसके बिना सामान्य जीवन में समय प्रबंधन के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने इसके साथ ही और भी छात्र छात्राओं के सवालों के जवाब दिए।