दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में अब तक पुलिस द्वारा नक्सलियों की गिरफ्तारी की जाती रही है, लेकिन दंतेवाड़ा पुलिस ने नक्सलियों और नक्सल समर्थकों के लिए एक और विकल्प खोल दिया है। पकड़े जाने के बाद यदि वे पुलिस के लिए काम नहीं करना चाहते हैं, तो गांव में भी रह सकते हैं, बशर्ते उन्हें लिखित में देना होगा कि दोबारा नक्सलियों के लिए काम नहीं करेंगे और सरपंच उनकी जिम्मेदारी ले।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सोमवार को इस अंचल में ऐसा ही हुआ। रविवार को जियाकोडता इलाके में नक्सलियों के मौजूदगी की सूचना पर निकले जवानों ने सात संदिग्धों कोवासी हड़मे, माड़वी पेद्दा, बामन मड़कामी, बसंती माड़वी, गंगा मंडावी, माड़वी सन्नू और माड़वी मंगू को पकड़ा और दंतेवाड़ा ले आए। लेकिन सातों को समझाइश के बाद इस शर्त पर सरपंच के सुपुर्द कर दिया गया कि दोबारा नक्सलियों के लिए काम नहीं करेंगे।
पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि पकड़े गए नक्सलियों में एक महिला समेत सात सदस्य हैं। कई नक्सली इस भय से सरेंडर नहीं करना चाहते हैं कि पुलिस में काम करना पड़ेगा। उनके लिए भी विकल्प खोले हैं। सरेंडर के बाद यदि घर में खेती करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। बशर्ते वे खुद और सरपंच जिम्मेदारी लें। यदि दोबारा नक्सल मामलों में संलिप्त मिले, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
पकड़े गए सभी नक्सलियों नेे पत्रकारों को बताया हम दो पाटों के बीच पिस रहे हैं। गांव में नक्सली आते हैं, सड़क खोदने, पुल तोड़ने, पर्चे फेंकने का दबाव डालते हैं। मजबूरी में काम करना पड़ता है। कोवासी हड़मे ने बताया कि 2018 से 3 पंचायतों की जिम्मेदारी मिली थी। संगठन में महिलाओं को जोड़ने का काम कर रही थी। इनके साथ पकड़े गए तीन अन्य ने बताया कि पुलिस को देख हम डर गए और भागने लगे। पुलिस हमें पकड़ कर लाई, मारपीट नहीं की गई। अब हम न तो नक्सलियों के लिए और न ही पुलिस के लिए काम करेंगे। हम गांव नहीं छोड़ना चाहते। खेती कर जीवन चलाएंगे।