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निजीकरण के विरोध में उतरे बिजली कर्मचारी, आंदोलन की दी नोटिस ?

लखनऊ , उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में सरकार एवं प्रबंधन को आंदोलन की नोटिस दी है।

नोटिस में कहा गया है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन एवं निजीकरण का फैसला वापस न लिया गया और इस दिशा में सरकार की ओर से कोई भी कदम उठाया गया तो ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी/संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता उसी समय आंदोलन शुरू करने के लिये बाध्य होंगे जिसमें पूर्ण हड़ताल भी शामिल है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें जिससे निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त हो सके।

उप्र विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने यह भी कहा है कि निजीकरण का निर्णय संघर्ष समिति और ऊर्जा मंत्री की उपस्थिति में विगत पांच अप्रैल 2018 को हुए समझौते का उल्लंघन है जिसमें लिखा गया है कि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र का कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।

संघर्ष समिति की ओर से ऊर्जा निगमों के प्रबंधन को भेजी गई नोटिस में चेयरमैन के साथ हुई बातचीत का हवाला देते हुए लिखा गया है कि संघर्ष समिति ने चेयरमैन के समक्ष विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की लेकिन प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल रहे हैं । इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों खरबों रुपए का घाटा हुआ है और हो रहा है।

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विघटन कर तीन छोटे निगम बनाए जाएंगे और उनका निजीकरण किया जाएगा। विघटन और निजीकरण दोनों की ही विफलता पर सवाल खड़ा करते हुए संघर्ष समिति का कहना है कि जब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब सालाना घाटा मात्र 77 करोड़ रुपये था। विघटन के बाद कुप्रबंधन और सरकार की गलत नीतियों के चलते यह घाटा अब बढ़कर 95000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसी प्रकार ग्रेटर नोएडा में निजीकरण और आगरा में फ्रेंचाइजीकरण के प्रयोग भी पूरी तरह विफल साबित हुए हैं।

संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाया जाएगा जिसमें पूर्ण हड़ताल भी सम्मिलित होगी। निजीकरण के विरोध में व्यापक जन जागरण करने हेतु संघर्ष समिति ने तय किया है कि पूरे प्रदेश में संघर्ष समिति का केंद्रीय नेतृत्व मंडल मुख्यालयों पर सभाएं कर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को जागरूक करेगा।