नई दिल्ली, दिल्ली में प्रसूति घोटाला सामने आया है। निजी सेक्टर की दर्जनों महिलाओं ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ पाने के लिए साल में खुद को 4 बार गर्भवती दर्शा दिया।
माना जा रहा है कि एक साल में चार बार मातृत्व अवकाश देने में निगम के अस्पताल के कर्मचारियों और चिकित्सकों की मिलीभगत रही होगी। ऑडिट टीम इसमें करीब 10 करोड़ रुपये के वारे-न्यारे का अनुमान लगा रही है। सीबीआइ के साथ निगम की विजिलेंस टीम ने घोटाले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में निगम के तीन शाखा प्रबंधकों और छह कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। हालांकि अधिकारी इनका नाम नहीं बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि निगम के चिकित्सकों ने मातृत्व अवकाश देने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र पेश किए।
इस इलाके में कई औद्योगिक इकाइयों में सैकड़ों महिलाएं कार्यरत हैं। इनके वेतन से ईएसआइसी के मद में पैसे कटते हैं और इसके एवज में महिलाओं को ईएसआइसी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। कर्मचारियों के वेतन से काटे गए पैसे ईएसआइसी के खाते में जमा होता है। निगम की ओर से ईएसआइसी कार्डधारक महिलाओं को डिलीवरी के दौरान 84 दिन का मातृत्व अवकाश (सवेतन) दिया जाता है। गर्भपात (कम से कम तीन माह की गर्भवती) कराने पर महिला को 42 दिन का (सवेतन) अवकाश भी दिया जाता है। इस अवकाश का पैसा निगम की ओर से महिला के बैंक खाते में डाल दिया जाता है।
निगम की ऑडिट टीम ने जांच में पाया कि कुछ महिलाओं ने सुविधा का लाभ उठाने के लिए ठेकेदारों, अधिकारियों, चिकित्सकों से मिलीभगत की और स्वयं को वर्ष में कई बार गर्भवती दिखाया। निगम के अधिकारियों के अनुसार, फर्जी दस्तावेजों से मातृत्व अवकाश के नाम पर 10 करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी होने का अनुमान है। सुनील कुमार (उप निदेशक, (वित्त) ईएसआइसी) के मुताबिक, मातृत्व अवकाश के नाम पर गड़बड़ी की जांच चल रही है। हम इस मामले की भी जांच कर रहे हैं कि ऑडिट में गड़बड़ी के मामले देरी से क्यों सामने आए? ब्रांच मैनेजर की भूमिका की भी जांच की जा रही है।