लखनऊ, झाँसी में यूपी पुलिस के एनकाउंटर में मारे गए पुष्पेंद्र यादव की मौत की पुलिस की कहानी पर शुरू से
ही शक मंडरा रहा था, जो कि अब और पुख्ता हो गया है।
योगी आदित्यनाथ सरकार के पुलिस एनकाउंटर पर सवाल हमेशा से उठते रहे हैं।
चाहे वह लखनऊ का विवेक तिवारी कांड हो या नोयडा का जितेंद्र यादव एनकाउंटर।
पुलिस का दावा है कि झांसी एनकाउंटर में मारा गया पुष्पेंद्र लुटेरा, खनन माफिया था और उसने पुलिस
इंस्पेक्टर पर हमला करके कार लूट ली थी।
वहीं पुष्पेंद्र के घरवाले और गांववाले इस एनकाउंटर को पूरी तरह फर्जी करार देकर पिछले दो दिनों से धरने पर
बैठे हैं।
उनका कहना है कि पुष्पेंद्र 23 साल का सीधा सादा नौजवान था।
वे झांसी के एसएसपी और मोंठ इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग कर रहें हैं।
पुलिस का दावा है कि झांसी के मोंठ थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान दो दिन पहले छुट्टी पर अपने घर
कानपुर गए थे। शनिवार की रात मोंठ इंस्पेक्टर कानपुर से अपनी कार से मोंठ आ रहे थे।
इस दौरान पुष्पेंद्र ने रास्ते में उनको फोन कर कहा कि वह मिलना चाहता है।
इस पर इंस्पेक्टर ने मोंठ से पहले हाइवे पर मिलने के लिए कहा।
5 अक्टूबर की रात करीब 9 बजे जैसे ही धर्मेंद्र सिंह वहां कार से पहुंचे, पुष्पेंद्र और उसके भाई रविंद्र व विपिन ने
बमरौली बाइपास तिराहे के पास फायरिंग की और उनकी कार लूटकर फरार हो गए।
पुलिस के मुताबिक, इसके बाद जिले की नाकेबंदी कर दी गई, 5 अक्टूबर की ही देर रात करीब 2.30 बजे
फरीदा गांव के पास सड़क पर कार आती दिखी।
पुलिस ने कार को रोकने की कोशिश की, तो कार सवारों ने गोली चला दी। पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की,
जिसमें पुष्पेंद्र को सिर में गोली लग गई और उसकी मौत हो गई। वहीं उसके दो साथी फरार हो गए।
घायल इंस्पेक्टर को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया।
इस मामले में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र की तहरीर पर विपिन, पुष्पेंद्र और रविंद्र के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
वहीं पुष्पेंद्र के घरवालों और गांववालों ने झांसी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सूत्रों के अनुसार, गांववालों का कहना है कि एसएसपी और मोठ कोतवाल रिश्तेदार हैं और दोनों ने मिलकर
पुष्पेंद्र की हत्या की है। बताया जा रहा है कि मोठ कोतवाल धर्मेंद्र सिंह, एसएसपी ओ0पी0 सिंह का भांजा है।
झांसी के लोकप्रिय नेता व राज्यसभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव ने भी इसे हत्या करार देते हुए आरोप लगाया कि
मोठ पुलिस ने पुष्पेंद्र का ट्रक पकड़ लिया था और पैसे के लेनदेन के विवाद में उसकी हत्या कर दी।
चंद्रपाल सिंह ने कहा कि पुलिस ने कार लेकर भागने की मनगढंत कहानी रची है।
रास्ते में इतने थाने पड़ते हैं, लेकिन उसे कहीं रोका क्यों नहीं गया था।
गांव वालों का कहना है कि हत्या को मुठभेड़ दिखाने मे एसएसपी और मोठ कोतवाल की मिलीजुली साजिश है।
लेन देन के विवाद मे इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह ने पुष्पेंद्र यादव की हत्या कर दी।
फिर अपने रिश्तेदार एसएसपी की मदद से मुठभेड़ दिखाकर खुद अस्पताल मे भर्ती हो गया।
एसएसपी ने अपने रिश्तेदार मोठ कोतवाल को बचाने की साचिश की है।
उनकी मांग है कि झांसी के एसएसपी और मोंठ इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाए।
दरअसल, पुष्पेंद्र झांसी के करगुआं गांव का रहने वाला था। उसके पिता सीआईएसएफ में थे।
पिता की मौत के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रवींद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी,
जबकि पुष्पेंद्र का एक और भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है।
घरवालों के मुताबिक पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था।
पुलिस ने पहले तो उसके खिलाफ फर्जी केस किया और फिर एनकाउंटर में उसे मार दिया।
पुलिस की कहानी मे झोल ये है कि-
1- मृतक पुष्पेंद्र यादव माफिया और शातिर लुटेरा कैसे हो गया जबकि उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नही है।
2- अमूमन पुलिस बड़ी से बड़ी वारदात होने और लाख बुलाये जाने पर भी नही पहुंचती हैं।
फिर एक बदमाश और माफिया की एक फोन काल पर इंस्पेक्टर कैसे उससे मिलने चले गये।
3- एक फोन काल पर इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह का पुष्पेंद्र यादव से मिलने पहुंच जाना ये दर्शाता है कि दोनों पहले से
एक दूसरे को जानते थे और मिलते थे।
4- पुष्पेंद्र यादव की पत्नी शिवांगी का यह कहना कि 8 बजे पुष्पेंद्र यादव 50 हजार रूपये लेकर इंस्पेक्टर को देने
के लिये कहकर निकले थे, ये बताता है कि इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह , पुष्पेंद्र यादव से रूपये लेने पहुंचा था।
5- पुष्पेंद्र यादव की हत्या करने के बाद अब उसके भाई रविंद्र पर भी, पुलिस ने हत्या की कोशिश और कार की
लूट का केस दर्ज किया है। जबकि वह झांसी मे ही नही था। रविंद्र यादव अपनी ड्यूटी पर था और उसे इस बात
का पता तब चला, जब वो अपने भाई की मौत की खबर सुनकर झांसी आया था।
प्रशासन अब इस एनकाउंटर की जांच की बात कह रहा है।
झांसी के डीएम शिवसहाय अवस्थी ने इस मामले की मैजिस्ट्रेट से जांच के आदेश दे दिए हैं।
वहीं एडीजी प्रेम प्रकाश ने कहा है कि इस मामले की जांच में अगर पुलिसवाले दोषी पाए जाएंगे, तो उनके
खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
पुष्पेंद्र यादव के गांव करगुंवा खुर्द के हालात खराब चल रहे हैं।
स्थिति बिगड़ती देख डीआईजी सुभाष चन्द्र बघेल ने ललितपुर व जालौन जनपद से भी पुलिस बल मंगवा लिया
है।
गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
हालांकि इसका कोई भी प्रभाव ग्रामीणों और मृतक के परिजनों पर नजर नहीं आ रहा है।
विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।
जब से सूबे में योगी सरकार बनी है तभी से तेजी से एनकाउन्टर करने का सिलसिला अनवरत जारी है।
उत्तर प्रदेश में हुये एंकाउंटर में अबतक 60 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
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