नयी दिल्ली, रेलवे बोर्ड के आकार को घटा दिया गया है। यह जानकारी एक आधिकारिक आदेश के जरिये दी गई है। रेलवे बोर्ड के आकार को छोटा करते हुए अधिकारियों की संख्या 200 से कम करके 150 कर दी गई है। इसके तहत निदेशक स्तर एवं उसके ऊपर के अधिकारियों का विभिन्न जोनों में स्थानांतरण किया गया है।
सरकारी आदेश के अनुसार लंबे समय से लंबित इस कदम का उद्देश्य दक्षता को बढ़ाना है। सूत्रों ने बताया कि इन 50 अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश सोमवार को जारी किये गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री की कम नौकरशाही की दृष्टि का हिस्सा है। न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन। ये अधिकारी वहां गए हैं जहां उनके कार्य का प्रभावी इस्तेमाल होगा।’’
स्थानांतरित किये गए अधिकारी लगभग सभी रेलवे काडरों से हैं। इनमें आईआरएसई और आईआरटीएस से 10..10, आईआरएएस से सात, आईआरएसएमई से छह, आईआरएसईई और आईआरएसएसई से पांच..पांच, आईआरएसएस और आईआरपीएस से तीन…तीन और आरपीएफ से एक शामिल हैं।
योजना पर सबसे पहले विचार वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा किया गया था जिसमें रेलवे के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय को सही आकार देने की सिफारिश की गई थी। पीटीआई ने पिछले महीने खबर दी थी कि रेल मंत्रालय रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन पर विचार कर रहा है जो रेल मंत्री पीयूष गोयल के 100 दिन के एजेंडा का हिस्सा था। साथ ही यह रेलवे बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष वी के यादव की शीर्ष प्राथमिकता है।
रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश 2015 में भारतीय रेलवे पर बिबेक देबरॉय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय रेलवे की केंद्रीकृत संरचना और विभागीयकरण रेलवे की कार्य संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है और विभाग-विशिष्ट लक्ष्यों के प्रति इसके दृष्टिकोण को संकुचित कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,‘‘हमेशा से यह देखा गया है कि रेलवे बोर्ड सहित रेलवे में कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है। यह संगठन की दक्षता पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है।’’
अधिकारी ने कहा कि इसको लेकर कभी भी गंभीर प्रयास नहीं किये गए कि रेलवे के कुशल तरीके से कामकाज के साथ ही वित्तीय व्यावहारिकता के लिए वास्तव में कितने कर्मचारियों की जरूरत है। सूत्रों ने संकेत दिया कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन मंत्रालय के कायापलट की मात्र एक शुरुआत है। गोयल ने हाल में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में यादव, बोर्ड सदस्यों और जोन के महाप्रबंधकों को कर्मचारियों की समीक्षा करने और अतिरिक्त कर्मचारियों का इस्तेमाल केवल संचालन कार्य में करने का निर्देश दिया था। ऐसी जानकारी है कि मंत्री ने यह भी कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या और उनकी तैनाती की समीक्षा होनी चाहिए और केवल न्यूनतम की तैनाती होनी चाहिए।