भावनगर, पश्चिम रेलवे में गुजरात के भावनगर मंडल के कर्मचारियों ने पीएम केयर फंड में 75 लाख रुपये से अधिक का योगदान दिया है।
मण्डल रेल प्रबंधक प्रतीक गोस्वामी ने बताया कि वर्तमान में एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना महामारी के वैश्विक संकट से जूझ रहा है वहीं मंडल के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पीएम केयर फंड में कुल 75,31,818 रूपये का योगदान किया है।
कोरोना महामारी के दौरान यात्री गाड़ियों के बंद होने को अवसर के रूप में सदुपयोग करते हुए मंडल ने सेफ्टी, ट्रैक मैन्टेनेन्स, सिग्नल एवं अन्य कार्यों को किया है, जो ट्रेन के चलने के दौरान नहीं की जा सकती थी, ब्लॉक लेना होता था। सुरेन्द्रनगर से धोला के बीच पहली डबलडेकर इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। लोगों को रेलवे की पुरानी यादों को ताजा करने हेतु एक संग्रहालय बनाया गया है जो मंडल कार्यालय के ठीक सामने स्थित है।
इस दौरान यात्रियों की सुविधा के लिए भावनगर मण्डल द्वारा कई उल्लेखनीय उपाय किए गये जिनमें दिव्यान्गजनों को मंडल कार्यालय पर बार-बार आने की असुविधा से बचाने के लिए “रेल दिव्यांग सारथी” एप्लीकेशन प्रारंभ की गई है, जिसमें उन्हें केवल एक बार ही आना होगा।
लॉकडाउन अवधि में मंडल द्वारा टाइम टेबल पार्सल ट्रेनें शुरू की गई। पोरबंदर से शालीमार के बीच 62 पार्सल स्पेशल ट्रेनों का संचालन भी किया गया। जिससे मंडल को अभी तक 1.07 करोड रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। धोराजी से बांगलादेश के लिए प्याज का परिवहन किया गया। जो मण्डल द्वारा किया गया पहला सफल प्रयास था। रेल ट्रांसपोर्ट के लिए गुड्स ट्रेफिक को आसान एवं आकर्षक बनाया गया।
इस समयावधि में डैमरेज व वारफेज माफ कर दिया गया और 13 गुड्स शेड को अत्याधुनिक सुविधा संपन्न एवं उन्नत बनाने के प्रयास शुरू किए गए हैं, इनमें से तीन गुड्स शेड, भावनगर टिम्बर डिपो, आद्री रोड और धोराजी का अधिकतर कार्य पूरा हो चुका है। मिनी रेक व टू पॉइंट रेक के लिए वर्तमान प्रावधानों को और भी सरल व सुविधाजनक बनाया गया है तथा सभी गूड्स शेड, प्राइवेट फ्रेट टर्मिनलों व प्राइवेट साइडिंग को पार्सल ट्राफिक के लिए खोल दिया गया। रेल ट्रांसपोर्ट के लिए गुड्स ट्रेफिक को आसान एवं आकर्षक बनाया गया।
कोरोना महामारी के समय में मंडल पर 72 कोचों को “कोविड केयर सेन्टर ” के रूप में बदला गया है। मंडल के रेलवे अस्पतालों में 200 क्वारंटीन बेड की व्यवस्था की गई है। 22 मार्च से रद्द की गई ट्रेनों का रिफंड 25 मई से दिया जा रहा है, 25 अगस्त तक कुल 4.99 करोड़ रूपये का रिफंड दिया जा चुका है।
श्री गोस्वामी ने बताया कि नये राजस्व की संभावनाओं को तलाशने के लिए मंडल स्तर पर बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि फ्रेट इंक्वायरी के लिए 139 कस्टमर केयर पर समाधान की सुविधा उपलब्ध हैं। मालभाड़ा यातायात को सरल एवं सुगम बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक रेलवे रिसिप्ट की सुविधा, रेल सुगम एप, ई-पेमेंट सुविधा के साथ-साथ रेक के लिए ऑनलाइन डिमाण्ड सुविधा भी प्रदान कर दी गई है।