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नौकरीपेशा लोगों के लिये रेलवे लाया बड़ी खुशखबरी, कम कीमत पर मिलेंगे मकान

नयी दिल्ली , भारतीय रेलवे पेशेवर आवश्यकता एवं तबादले के कारण एक निश्चित अवधि में शहर बदलने वाले नौकरीपेशा लाेगों के लिए आवास की एक अनोखी योजना लाने जा रही है जिसमें लोग रेलवे की ज़मीन पर बने मकानों को मनचाहे समय के लिए पट्टे पर ले सकेंगे।
रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए रेल अधिनियम की धारा 11 के तहत नोडल एजेंसी घोषित रेल मंत्रालय के उपक्रम भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम  के प्रबंध निदेशक एस के लोहिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि रेलवे स्टेशनों के विकास में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अक्टूबर में स्वीकृत योजना के अनुसार दो प्रकार से राजस्व अर्जित किया जा सकेगा। एक ज़मीन के इस्तेमाल से और दूसरा उपयोगकर्ता यात्रियों से सेवा शुल्क लेकर।
श्री लोहिया ने बताया कि 20 दिसंबर को नये मॉडल के आधार पर ग्वालियर, नागपुर, साबरमती और अमृतसर स्टेशनों के पुनर्विकास को मंजूरी दी गयी है। उन्होंने कहा कि रेलवे को जो ज़मीन आवासीय परियोजनाओं के लिए दी जाएगी, वह 99 साल के पट्टे पर दी जाएगी लेकिन अन्य वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए जैसे होटलों, सर्विस अपार्टमेंट आदि के लिए 60 साल या कम का पट्टा दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के आनंद विहार और बिजवासन स्टेशनों के विकास के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ 19 दिसंबर को एक करार पर हस्ताक्षर किये गये हैं। करार के मुताबिक रेलवे स्टेशनों के विकास के बाद राजस्व की हिस्सेदारी में दो तिहाई रेलवे और एक तिहाई डीडीए को मिलेगा। चंडीगढ़, पुणे, सिकंदराबाद और बेंगलुरु सिटी के लिए भी प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।
आवासीय परियोजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए श्री लोहिया ने कहा कि ज़मीन के उपयोग से राजस्व अर्जन के अंतर्गत आईआरएसडीसी ओला और ऊबर की तर्ज पर निजी बिल्डरों के लिए एक ऐसे मॉडल का प्रस्ताव कर सकती है जिसमें मकान लेने वालों का एक नया सेगमेंट तैयार हो सके। उन्होंने इस विचार का विस्तार करते हुए कहा कि बहुत से युवा या अन्य नौकरीपेशा लोग एक शहर में कुछ साल गुजारने के बाद दूसरे शहर जाते हैं या जाना पड़ता है। ऐसे में उनके लिए घर खरीदना मुश्किल होता है। रेलवे स्टेशनों के पास ज़मीन पर आवासीय परियोजना में लोगों को छोटी अवधि जैसे तीन साल या पांच साल के पट्टे पर मकान दिये जा सकेंगे। जब वे खाली करेंगे तो उसे रंगरोगन एवं मरम्मत कराके अन्य किसी को आवंटित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि इससे लोगों को किराये के मकान ढूंढ़ने का झंझट नहीं होगा। ओला या ऊबर की तर्ज पर वे एक शहर में रहते हुए तबादले के साथ दूसरे शहर में मकान बुक करा सकेंगे। पट्टे की अवधि के हिसाब से उनसे मूल्य लिया जाएगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने साफ किया कि आईआरएसडीसी की भूमिका केवल सहयोगकर्ता की ही रहेगी।
रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि इससे यात्रियों को हवाईअड्डे जैसी सुविधाएं मिलेंगी। स्टेशनों पर दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। स्टेशन में प्रवेश एवं निकास अलग द्वार से होगा। यात्रियों से टिकट में किराये के साथ उपयोगकर्ता प्रभार या सेवा शुल्क भी ले लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमृतसरए ग्वालियरए नागपुर एवं साबरमती स्टेशनों के लिए निविदा का दस्तावेज अपलोड कर दिया गया है और उनके विकास की डिज़ायन भी तैयार की जा चुकी है। अगले साल अगस्त तक ठेके दे दिये जाएंगे और तीन साल में निर्माण पूरा हो जाएगा।