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रेलवे ने फंसे लोगों को उनके गृहक्षेत्र पहुंचाने के लिए और 40 ट्रेनें चलायीं

नयी दिल्ली , भारतीय रेलवे ने देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूरों, पर्यटकों, विद्यार्थियों एवं अन्य लोगों को उनके गृहक्षेत्र में पहुंचाने के लिए आज 40 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायीं इस प्रकार से अब तक कुल 189 श्रमिक स्पेशल गाड़ियां चलायीं जा चुकीं हैं।

रेलवे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार छह मई तक 149 विशेष ट्रेनें परिचालित हुईं थी जबकि आज दोपहर तक 14 गाड़ियां चलायीं गयीं। वडोदरा, नयी दिल्ली, जालंधर, साबरमती, जालंधर, कोटा और एर्नाकुलम आदि स्थानों से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के लिए चलाने की तैयारी है।

श्रमिक दिवस के मौके पर सरकार ने लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न भागों में फंसे मजदूरों एवं छोटे कामगारों, पर्यटकों, विद्यार्थियों एवं अन्य व्यक्तियों को उनके गृहनगर तक पहुंचाने के लिए उद्देश्य से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला किया था जिसके तहत पहले दिन शुक्रवार एक मई की शाम छह गाड़ियां चलायीं गयीं थीं।

सूत्रों के अनुसार राज्य सरकारों के अनुरोध पर ये स्पेशल ट्रेनें एक स्थान से दूसरे स्थान तक सीधे चलायीं जा रहीं हैं और यात्रियों को पहुंचाने के लिए मानक प्रोटोकॉल का अनुपालन किया जा रहा है। रेलवे एवं राज्य सरकारों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के सुचारु रूप से परिचालन एवं समन्वय के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है। सरकार ने तय किया है कि इन ट्रेनों में यात्रा के लिए यात्रियों को कोई टिकट नहीं लेना पड़ेगा। चूंकि इन्हें राज्यों के अनुरोध पर चलाया जा रहा है इसलिये रेलवे को राज्य सरकारें भुगतान करेंगी।

सूत्रों के अनुसार यात्री जिस राज्य से सवार होते हैं, उस राज्य की सरकारें यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य सावधानियों का पालन करते हुए सेनिटाइज़्ड बसों में एक एक बैच के रूप में लाया जाता है और फिर स्टेशन पर ट्रेन में बिठाने से पहले यात्रियों की जांच की जाती है। जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं पाये जाते हैं उन्हें ही यात्रा करने की अनुमति दी जाती है।

प्रत्येक यात्री के लिए फेस कवर पहनना अनिवार्य किया गया है। भोजन एवं पानी गाड़ी छूटने वाले स्टेशन की राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। लंबी दूरी वाली गाड़ियों में रेलवे भोजन उपलब्ध करा रही है। गंतव्य पर पहुंचने पर यात्रियों की पुन: राज्य सरकार जांच कराती है। ज़रूरी होने पर उनको क्वारेंटाइन किया जा रहा है और यदि जरूरत नहीं हाेती है तो उनके आगे की यात्रा की व्यवस्था की जाती है।