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जल संकट को लेकर, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने दिये चौंकाने वाले आंकड़े

स्टॉकहोम, जल प्रबंधन क्षेत्र में शानदार कार्य के लिए वर्ष 2001 में मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले राजेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की 72 प्रतिशत भूजल परतें

सूख चुकी हैं। ऐसी स्थिति में देश को आसन्न ‘‘जल आपदा’’ से बचाना मुश्किल है।

राजेंद्र सिंह ने उल्लेख किया कि इस साल देश में 17 राज्यों के 365 जिलों में सूखे की स्थिति रही, जबकि 190 से अधिक जिलों में बाढ़ की स्थिति रही।

वर्ष 2015 में स्टॉकहोम जल पुरस्कार जीतने वाले 60 वर्षीय ‘जल पुरुष’ ने भारत में जल संकट की स्थिति से निपटने के लिए समुदाय संचालित

विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम की आवश्यकता को दोहराया।

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सिंह ने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति को जल उपलब्ध कराने का दायित्व केवल तभी पूरा किया जा सकता है जब सरकार लोगों के साथ मिलकर

जमीनी स्तर पर काम करे, न कि इस काम को ठेकेदारों को सौंपे जिनका उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संकट से निपटने के लिए सरकार और लोगों को एक साथ आना होगा।

इसे प्राप्त करने के लिए, सरकार को नीति बनानी चाहिए कि वह जल प्रबंधन का कार्य ठेकेदारों को नहीं सौंपेगी, बल्कि इसकी जगह जनता की

भागीदारी वाली पहल शुरू करेगी।

केवल यही रास्ता है जिससे समाज जल संकट से जल सक्षम बन सकता है।’’

मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जल संरक्षणविद् एवं पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह का कहना है कि भारत की 70 प्रतिशत से अधिक भूजल

परतें सूख चुकी हैं जिससे संकट इतना गहरा सकता है कि लोग जल प्रचुरता वाले देशों में शरण मांग सकते हैं।

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ऐसी स्थिति में देश को आसन्न ‘‘जल आपदा’’ से बचाना मुश्किल है।

सुधारात्मक कदम तत्काल उठाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सिंह ने उल्लेख किया कि मध्य एशियाई और अफ्रीकी देशों के

सूखाग्रस्त क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले लोग पहले ही जल प्रचुरता वाले यूरोपीय देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

भारत के ‘जलपुरुष’ के रूप में मशहूर राजेंद्र सिंह ने हाल में यहां स्टॉकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टिट्यूट (सिवि) द्वारा आयोजित विश्व जल

सप्ताह से इतर कहा, ‘‘भारत में, इस तरह का पलायन गांवों से शहरों की ओर हो रहा है।

हालांकि, मौजूदा जल संकट के चलते इस तरह का जलवायु पलायन भविष्य में अन्य देशों की ओर हो सकता है।’’

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वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) की अद्यतन वैश्विक जल जोखिम मानचित्रावली के अनुसार भारत ‘‘अत्याधिक’’ जल संकट का

सामना कर रहा है जो ‘‘डे जीरो’’ स्थितियों के समान है जब नल सूख जाते हैं।

डब्ल्यूआरआई की मार्च 2019 की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत आगामी दशकों में व्यापक और विविध जलवायु परिवर्तन प्रभावों का सामना

करेगा।

देश में अत्यधिक निर्धनता और निम्न अनुकूलनीय क्षमता तथा जलवायु संवदेनशील क्षेत्रों पर अत्यधिक निर्भरता वाली एक बड़ी आबादी है,

और इसके नकारात्मक जलवायु परिवर्तन प्रभावों का सामना करने की आशंका है।

ये कारक अनुकूलन को नाजुक बना देते हैं।’’

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