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पूर्व सैन्य अफसरों ने सशस्त्र बलों के ‘‘राजनैतिक इस्तेमाल’’ पर जताया आक्रोश, राष्ट्रपति को पत्र लिखा

नयी दिल्ली, 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों ने ‘‘राजनीतिक उद्देश्यों’’ के लिए सशस्त्र बलों के ‘‘इस्तेमाल’’ पर आक्रोश जताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सशस्त्र सेनाओं के राजनीति में तटस्थ चरित्र की रक्षा करने में हस्तक्षेप की मांग की। पत्र पर तीनों सेनाओं के आठ पूर्व प्रमुखों के भी हस्ताक्षर हैं। पत्र में पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एस एफ रोड्रिग्ज और भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एन सी सूरी के भी नाम शामिल हैं। हालांकि, इन दोनों ने पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया है। यह पत्र 11 अप्रैल को लिखा गया।

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थल सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एम एल नायडू ने यह भी कहा कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में उनका नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली गई। जब पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर और जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉय चौधरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने पत्र लिखने को स्वीकार किया। चौधरी ने कहा कि एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर पूर्व सैनिकों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए पत्र लिखा गया।

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पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखना इसलिए चुना क्योंकि वह सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होने के साथ संविधान के संरक्षक भी हैं। रोड्रिग्ज और सूरी के पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोपों को ‘‘फर्जी’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह निंदनीय है कि अनुमति लिए बिना नाम शामिल किए गए।’

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक चुनावी रैली में सशस्त्र सेनाओं को ‘‘मोदीजी की सेना’’ बताया जिसपर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। निर्वाचन आयोग ने भी टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई। पत्र में पूर्व सैन्य अधिकारियों ने चुनाव प्रचार अभियानों में भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन वर्धमान और अन्य सैनिकों की तस्वीरों के इस्तेमाल पर भी नाखुशी जताई। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने लिखा, ‘‘महोदय हम नेताओं की असामान्य और पूरी तरह से अस्वीकृत प्रक्रिया का जिक्र कर रहे हैं जिसमें वह सीमा पार हमलों जैसे सैन्य अभियानों का श्रेय ले रहे हैं और यहां तक कि सशस्त्र सेनाओं को ‘मोदी जी की सेना’ बताने का दावा तक कर रहे हैं।’’

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पत्र के अनुसार, मीडिया में आई तस्वीरों में दिखाया गया कि चुनाव प्रचार अभियान में पार्टी कार्यकर्ता सेना की वर्दी पहने हुए हैं और भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान समेत जवानों की तस्वीरें और पोस्टर दिखाए गए। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं का इस तरह दुरुपयोग वर्दी में सेवारत पुरुषों और महिलाओं के मनोबल और लड़ने की क्षमता पर विपरीत असर डालेगा।
उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वह सभी आवश्यक कदम उठाएं तथा सभी राजनीतिक दलों को सेना का राजनीतिक उद्देश्यों या अपना राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए इस्तेमाल करने से बचने के निर्देश दें। तीन पूर्व नौसेना प्रमुखों एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश, एडमिरल (सेवानिवृत्त) मेहता और एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

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