रविदास मंदिर बनाने को सिकंदर लोधी ने दी थी जमीन, नरेंद्र मोदी ने दिया तुड़वा
August 22, 2019
नई दिल्ली, रविदास मंदिर तोड़ने के विरोध में दलितों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। तुगलकाबाद में गुरु रविदास का मंदिर तोड़े जाने के विरोध में दलित समुदाय के लोगों ने आज 21 अगस्त को दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
दलितों ने कहा कि रविदास मंदिर बनाने को सिकंदर लोधी ने जमीन दी थी जबकि पीएम नरेंद्र मोदी ने उसी मंदिर को तुड़वा दिया है।
मंदिर ढहाए जाने के बाद दलित एक्टिविस्ट अशोक भाटी ने कहा, ‘‘यदि अयोध्या में राम मंदिर बनाने की मांग हिंदू समाज के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में गुरु रविदास मंदिर को उस ऐतिहासिक स्थान से हटाया क्यों गया, जहां वह बना हुआ था।’’
दलितों ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि तुगलकाबाद में तोड़े गए रविदास मंदिर को दोबारा बनवाया जाए। यह मंदिर बनना चाहिए। अगर मंदिर नहीं बनवाया जाएगा तो हम प्रदर्शन करेंगे। मंदिर बनने तक हम जंतर-मंतर से नहीं हटेंगे।’’
तुगलकाबाद स्थित गुरु रविदास के मंदिर को डीडीए ने ध्वस्त किया था।
डीडीए ने यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को आदेश दिया था कि डीडीए दिल्ली पुलिस की मदद से कल तक यह जमीन खाली कराए और मौजूदा ढांचे को हटा दे।
इस दौरान दलित संगठनों ने एकजुट होकर 21 अगस्त को दिल्ली में प्रदर्शन करने का आह्वान किया था।
इस बारे में संत रविदास से जुड़ी जगहों की खोज का काम कर रहे सतविंदर सिंह हीरा ने दावा किया कि “ये मंदिर संत रविदास की याद में साल 1954 में बनवाया गया था। दिल्ली में लोदी वंश के सुल्तान रहे सिकंदर लोदी ने संत रविदास से नामदान लेने के बाद उन्हें तुग़लकाबाद में 12 बीघा ज़मीन दान की थी जिस पर यह मंदिर बना था।”
इस मंदिर से सिखों की आस्था भी जुड़ी हुई थी क्योंकि सिखों का मानना है कि संत रविदास की वाणी (600 से ज़्यादा शबद) गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। संत रविदास का पंथ आज भी भारत के दलितों में बहुत लोकप्रिय है।
साल 1959 में केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम इस मंदिर का उद्घाटन करने तुग़लकाबाद पहुँचे थे।
जगजीवन राम की बेटी और पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने इस बात की पुष्टि की है।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है, “तुग़लकाबाद स्थित प्राचीन मंदिर स्थल पर गुरु रविदास 1509 में स्वयं आए थे और मेरे पिता बाबू जगजीवन राम ने इसका जीर्णोद्धार कर 1 मार्च 1959 को इसका उद्घाटन किया था।”