नयी दिल्ली , देश में कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में देश के जाने माने रंगकर्मियों और कलाकारों का व्याख्यान डिजिटल माध्यम से आयोजित कर रंगमंच की दुनिया में एक नया रिकॉर्ड बनाया गया है और रंगमंच के विभिन्न पहलुओं पर एक गंभीर विचार-विमर्श शुरू किया है ।
मध्य प्रदेश की एक महिला रंगकर्मी ने रंगमंच और लोक कलाओं पर 100 व्याख्यान आयोजित कर एक अनोखी मिसाल पेश की है। इस से पहले किसी एक व्यक्ति ने निजी प्रयासों से डिजिटल माध्यम पर 100 लेक्चर आयोजित नहीं किये थे। ग्वालियर की रंगकर्मी गीतांजलि गीत ने फेसबुक पर ‘मेरा मंच’ बैनर के तले यह कार्य किया है।
श्रीमती गीतांजलि गीत ने बताया कि उन्होंने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित बंसी कॉल, रंजीत कपूर, आलोक चटर्जी, संजय उपाध्याय, सतीश आनंद, मुश्ताक काक, विभा रानी, विनय कुमार, रवि तनेजा, अशोक भौमिक, अशोक मिश्र और ओम पारीक जैसे अनेक जाने माने रंगकर्मियों और कलाकारों से प्रख्यात नाटककार जगदीश चंद्र माथुर, गिरीश कर्नाड और बादल सरकार के अवदान पर चर्चा करने से लेकर बाल रंगमंच, लोक मंच , अभिनय, पटकथा लेखन, प्रकाश एवं ध्वनि, मंच सज्ज़ा जैसे अनेक विषयों पर विचार विमर्श किए ।
उन्होंने बताया कि यह पहला मौका होगा जब रंगमंच के इतिहास में इतने कलाकारों ने दो महीने के भीतर हर रोज डिजिटल माध्यम से ये व्याख्यान दिए। इन कलाकारों ने लॉक डाउन में डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर रंगमंच की समस्याओं और उसकी संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला तथा लोक कला, कठपुतली एवं विदेशिया शैली आदि पर भी चर्चा की ।
उन्होंने रंगमंच की समस्याओं पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया कि शहरों में रंगमंच करने के लिए लोगों को सभागार नहीं मिलते और यह सभागार इतने महंगे होते हैं कि एक रंगकर्मी के लिए नाटक करना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। जो रंगकर्मी किसी संस्था या प्रतिष्ठान से नहीं जुड़ा है और अपनी थिएटर कंपनी चलाता है उसके लिए भारी समस्या पैदा हो गई है इसलिए शहरों में सस्ते दर पर सभागार मुहैया कराने की व्यवस्था होनी चाहिए।
इन व्याख्यान में इस बात की भी चर्चा की गई कि लॉकडाउन में क्षेत्रीय कला और लोक कला से जुड़े कलाकारों के लिए अपनी आजीविका का प्रबंध करना बहुत कठिन हो गया है क्योंकि वह लॉकडाउन के कारण अपना कोई प्रदर्शन आयोजित नहीं कर पा रहे हैं और धन का उपार्जन नहीं हो पा रहा है। ऐसे कलाकारों ने सरकार से उन्हें विशेष राहत देने और आर्थिक सहयोग करने की भी मांग की।
श्रीमती गीत ने बताया कि वह 100 व्याख्यान आयोजित करने के बाद भी अपने इस अभियान को जारी रखेंगी और आने वाले 1015 दिन में भी यह व्याख्यान आयोजित करती रहेंगी। इन व्याख्यानों से युवा पीढ़ी और छात्रों को बहुत जानकारी मिली है।