कुशीनगर , उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली में उत्खनित प्राचीन अवशेष व धरोहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की उदासीनता के कारण बारिश के पानी में डूब गए हैं। जलभराव से इन अवशेषों का क्षरण होने के साथ उनके मूल स्वरूप में परिवर्तन होने का अंदेशा जताया जाने लगा है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में प्रमुख रूप से कुशीनगर में तीन स्थल हैं। इनके संरक्षण, स्वच्छता एवं सुरक्षा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी विभाग के पुरातत्व संरक्षण अधिकारी की है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का यहां उपमंडल कार्यालय भी है। पुरातत्व संरक्षण अधिकारी की तैनाती की गई है। इसके बावजूद महापरिनिर्वाण मंदिर के बगल में स्थित उत्खनित महत्वपूर्ण पुरावशेष व रामाभार स्तूप जाने वाले मार्ग पर स्थित पवित्र माथा कुंवर मंदिर और उसके सामने उत्खनित अवशेष पानी में डूबे हुए हैं।
इस मंदिर में भगवान बुद्ध की भू स्पर्श मुद्रा में लाल बलुए पत्थर से बनी एक भव्य प्रतिमा स्थापित है। मंदिर बौद्ध अनुयायियों व उपासकों की आस्था से जुड़ा है, लेकिन जिम्मेदार जलजमाव से उत्खनित अवशेषों व संरचनाओं को संरक्षित यानि बारिश के पानी से बचाने के लिए सजग व सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह समस्या कई वर्षों से चली आ रही है।
उपमंडल कार्यालय कुशीनगर में तैनात संरक्षण अधिकारी अविनाश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जलभराव से निजात के लिए गत वर्ष एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली कार्यालय को भेजा गया था, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। भेजी गई रिपोर्ट में विभाग को एक टीम गठित कर निरीक्षण करने के लिए अनुरोध किया गया था। फिर भी मामला अब तक ठंडे बस्ते में ही पड़ा हुआ है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से पुरातात्विक अवशेषों और उत्खनन कार्यों का सर्वेक्षण, केंद्र सरकार की सुरक्षा वाले स्मारकों, स्थलों और अवशेषों का रखरखाव और परीक्षण, स्मारकों और भग्नावशेषों का रासायनिक बचाव, स्मारकों का पुरातात्विक सर्वेक्षण, शिलालेख संबंधी अनुसंधान का विकास और मुद्राशास्त्र का अध्ययन, स्थल संग्रहालयों की स्थापना और पुनर्गठन, विदेशों में अभियान, पुरातात्विक विज्ञान में प्रशिक्षण और तकनीकी रिपोर्ट एवं अनुसंधान कार्यों का प्रकाशन शामिल है।