नयी दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्मृति में शांति, समाज सेवा, निरस्त्रीकरण और विकास के क्षेत्र में काम करने के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार आज प्रसिद्ध प्रकृतिवादी सर डेविड एटनबरो को दिया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में सर डेविड एटनबरो को वर्ष 2019 के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया। इंदिरा गांधी न्यास पूरी दुनिया में जैवविविधता को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है और इस दिशा में काम करने वाले एटनबरों को यह सम्मान प्रदान किया गया। श्री एटनबरो के नाम का चयन पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली अंतरराष्ट्रीय जूरी ने किया था।
इस मौके पर श्रीमती गांधी ने कहा कि डा. एटनबराे ने आधी सदी से अधिक समय तक लगातार प्रकृति के संरक्षण और जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए काम किया है और पूरी दुनिया में उन्होंने पशु पक्षियों की आवाज बनकर काम किया है। उन्होंने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने भले ही एक राजनीतिक परिवार में जन्म लिया था लेकिन वह जंगल,पशु पक्षियाें की सुरक्षा के काम से जुड गयी थीं और इससे आजीवन जुडी रहीं।
उन्होंने कहा कि श्रीमती गांधी के प्रकृति के प्रति प्रेम का ही परिणाम था कि वह 1950 में दिल्ली बर्ड वाचिंग सोसायटी की सदस्य बनीं। उन्होंने दुनिया में शांति, समाज सेवा, निरस्त्रीकरण तथा विकास के क्षेत्र में भी असाधारण काम किया और दुनिया को सबसे पहले बताया कि वातारण में जो बदलाव आ रहा है वह एक दिन विश्व के लिए चुनौती बनेगा और इस दिशा में विश्व के नेताओं को कदम उठाने चाहिए।
डॉ. सिंह ने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के लिए काम किया और वह इस दिशा में काम करने वाली कई संस्थाओं से जुडी रही। उन्होंने कहा कि विश्व की पहली नेता थी जिन्होंने पर्यावरण में आ रहे बदलाव के प्रति विश्व का ध्यान आकर्षित किया।
सर एटनबरो ने इस मौके पर कहा कि मनुष्य जंगलों को काटकर वहां बसना चाहता है और पशु पक्षियों के हक को मारकर जीने की लालसा पाले हुए है इसलिए पूरी दुनिया को इस पर चिंतन करना चाहिए। उन्होंने कि पहले शताब्दियों तक मनुष्य ने सबकी चिंता की तो उसे शांति और खुशहाली मिलती रही लेकिन आज स्थिति पलट गयी है और मनुष्य पशु पक्षियों के आशियाने को कब्जा रहा है। जंगली जानवरों का दायरा ही नहीं घट रहा है बल्कि उनकी संख्या भी बहुत तेजी से घट गयी है।
उन्होंने कहा कि जंगलों के घटने से पारिस्थितिकी परिवर्तन दुनिया में आया है यह तबाही का प्रतीक है। इसकी वजह से समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी हो रही है और हिमनद तेजी से पिघल रहे हैं। पूरी दुनिया के देशों को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए और प्रकृति की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। जैव विविधता का संकट लगातार बढ़ रहा है और दुनिया में बढ़ते इस संकट काे दूर करने के लिए विश्व के एक दूसरे देश की मदद करनी होगी।