नई दिल्ली, फिर एक अन्य विवाद को जन्म देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और हिंदुत्व उसकी पहचान है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है, ‘भारत हिंदू राष्ट्र है. ये सत्य है. इसे कोई नहीं बदल सकता. इसे हमने नहीं बनाया है. ये तो सदा से चलता आया है. जब तक यहां एक हिंदू भी है, ये हिंदू राष्ट्र है. ये सत्य है. बाकी सब काल खंड और परिस्थिति के हिसाब से बदल सकता है.’
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‘द आरएसएस: रोडमैप्स फॉर 21 सेंचुरी’ किताब का विमोचन करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह किताब समाज को संघ दिखाएगी और संघ में चर्चा का विषय भी होगी. उन्होंने कहा, ‘संघ पुस्तक से बंधा नहीं है लेकिन पुस्तकें दिशा तो दिखाती हैं, पुस्तक पढ़िए.’
आरएसएस प्रमुख ने ‘द आरएसएस: रोडमैप्स फॉर 21 सेंचुरी’ किताब को संघ के बारे में गलतफहमी को दूर करने वाली किताब भी बताया. उन्होंने कहा कि इस किताब को पढ़ने से आपको संघ के बारे में गलतफहमी नहीं होगी. इसके अलावा उन्होंने संघ के बारे में भी बताया.
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम करने के तौर-तरीकों को लेकर एक किताब ‘द आरएसएस रोडमैप्स 21 सेंचुरी’ लिखी है. सुनील आंबेडकर ने अपनी इस किताब में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काम करने से तरीके से लेकर इसकी विचारधारा के बारे में लिखा है. सुनील आंबेकर का मानना है कि संघ 94 साल से समाज को मजबूत कर रहा है. संघ का विरोध करने से पहले इस संगठन को समझना बेहद जरूरी है.
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मोहन भागवत ने कहा, ‘जो सब लोगों को जोड़कर रख सकता है. जो कहे हम हिंदू नहीं हैं, आप जो भी हैं, हमारे हैं, ये मानकर कि पूरा समाज समृद्ध बने, ये संघ है.’ उन्होंने कहा, ‘विचारों की सवंतरता संघ में मान्य है. यहां अनेक मत होने के बाद भी मनभेद नहीं होता है.’
उन्होंने कहा, ‘हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है..हिंदुत्व हमारे राष्ट्र की पहचान है और यह अन्य धर्मों को स्वयं में समाहित कर सकता है.’
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पिछले सप्ताह भागवत ने कटक में कथित तौर पर कहा था, ‘सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश के वर्तमान निवासी इसी
महान संस्कृति की संतान है. ’उन्होंने सवाल किया था कि यदि इंग्लैंड के लोग इंग्लिश हैं, जर्मनी के लोग जर्मन हैं, अमेरिका के लोग अमेरिकी हैं
तो हिंदुस्तान के सभी लोग हिंदू के रूप में क्यों नहीं जाने जाते?