मिदनापुर , वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) और देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान एक ओर जहां शहरी महिलाएं अपना अधिकतर समय टेलीविजन देख कर गुजार रही है वहीं पश्चिम बंगाल में ग्रामीण महिलाएं अपने पुराने हुनर को निखारने में जुटी हुई हैं।
पश्चिम बंगाल के तामलुक, मिदनापुर, झारग्राम और पूरे जंगलमहल क्षेत्र में ग्रामीण महिलाएं रजाई बुनने जैसे पारंपरिक कामों को पूरा करने में जुटी हुई हैं। गढ़बेट के राजवल्लभपुर गांव की रोल मॉडल 85 वर्षीय मेनोका मैत्री ने अपने इस जुनून को लेकर संतोष जताते हुए कहा, “ हमें पुरानी और घिसी-पिटी साड़ियों से धागे इकट्ठा करने जैसी कड़ी मेहनत करनी होती है।
रजाई की सिलाई के लिए विशेष प्रकार की मोटी सुइयों की खरीद करनी होती है और इसे सिलने में एकाग्रता की जरुरत पड़ती है । सर्दियों का मौसम लगभग छह महीने होता है। हमारे पोते- पोतियों को इन रजाईयों से ठंड में काफी निजात मिलती है।”
धाडिका गांव की कृष्णा मंडल कहती है कि देश के विभिन्न हिस्से के मध्यवर्गीय परिवार लोग हम लोगों से रजाइयां खरीदते हैं और बड़ा व्यापार करते हैं,लेकिन हमें महज चंद रुपये ही मिलते हैं।
संधिपुर गांव की अंजली घोष ने कहा कि लॉकडाउन ने हम लोगों को परिवार के साथ मिलकर अपने पुराने हुनर को पुन: स्थापित करने का अवसर प्रदान किया है।