लखनऊ, देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से चिंतित सहारा इंडिया परिवार के चेयरमैन सुब्रत राॅय सहारा ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म विषाणु के खिलाफ लंबी चलने वाली लड़ाई में लोगों को खुद एवं परिवार की रक्षा के लिये स्वयं ही योद्धा बनना होगा।
उन्होने यहां जारी एक बयान में कहा “ सरकार और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमाएं हैं। स्वास्थ्य सेवाएं एक हद तक ही हमारी मदद कर सकती हैं। कोरोना के फैलाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसलिए न तो हम असावधान रह सकते हैं, न निश्चिंत रह सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अब हमें स्वयं अपने उन पर ज्यादा निर्भर रहना होगा। हमें कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में स्वयं ही योद्धा बनना होगा। पहले से कहीं अधिक सर्तक रहना होगा। लाॅकडाउन के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा के उपायों को पहले से अधिक कड़ाई से अपनाना होगा। ”
श्री राय ने कहा जब कोरोना महामारी से निपटने के लिए लाॅकडाउन का पहला चरण शुरू हुआ था,उस समय पूरे देश में संक्रमित लोगों की संख्या छह-सात सौ थी जबकि चार चरण पूरा करने के बाद देश में संक्रमित लोगों की संख्या छह लाख के पास पहुंच रही है वहीं लाॅकडाउन लागू होने के समय डाॅक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों, पुलिसकर्मियों और कोरोना से लड़ने वाले सभी लोगों के बीच पूरा उत्साह दिखाई देता था लेकिन अब वह उत्साह जैसे ठंडा पड़ रहा है। दूसरी तरफ यह भी सच है कि आर्थिक गतिविधियों को अधिक समय तक रोक कर नहीं रखा जा सकता,इसलिये कोरोना के तीव्र फैलाव के बीच हमें अपनी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियां भी जारी रखनी हैं।
सहाराश्री ने कहा “ आगे जो लड़ाई है उसमें सरकारी संस्थाओं और स्वास्थ्य सेवी संस्थाओं की भूमिका कम है, एक व्यक्ति की यानी हमारी और आपकी भूमिका ज्यादा है। यह बेहद चुनौतीपूर्ण है। हमें स्वयं को ही नहीं बचाना है बल्कि अपने परिजनों को भी बचाना है और अपने आसपास के लोगों को भी बचाना है। हम सोशल डिस्टेंसिग करें पर इमोशनल डिस्टेंसिंग न करें। हमें भावनात्मक रूप से अपने आसपास के लागों के साथ जुड़ा हुआ रहना चाहिए। टेलीफोन एवं इंटरनेट के जरिए अपनों से लगातार संपर्क बनाए रखना चाहिए।”
उन्होने कहा कि हर समाज में कुछ ऐसे गैर-जिम्मेदार लोग होते हैं जो हालात की गंभीरता को नहीं समझते। ये लोग जानबूझकर या अनजाने में बचाव संबंधी उपायों की उपेक्षा करते हैं। ये लोग स्वयं भी संकट में पड़ते हैं और दूसरों को भी संकट में डालते हैं। ऐसे लोगों को रोकना और समझाना भी हमारी जिम्मेदारी है। स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग करना होगा। साथ ही अपने इस संकल्प को लगातार मजबूत करते रहना होगा कि हमें कोरोना को हराना है। हमें कोरोना के साथ रहते हुए ही कोरोना को हराना है।
श्री राय ने कहा कि आज यह उम्मीद नहीं कर सकते कि कोरोना से पहले हम जैसा जीवन जी रहे थे वैसा ही जीवन हमें तुरंत मिल जाएगा। हाल फिलहाल इसकी संभावना नहीं है क्योंकि कोरोना के साथ लड़ाई लंबी है और कठिनाइयों का दौर भी लंबा है। इसलिए हमें बिना किसी शिकवे-शिकायत के कठिनाइयों के साथ रहने की आदत डालनी होगी। इसका भी ध्यान रखना होगा कि हमारे भीतर निराशा पैदा न हो।
उन्होने कहा कि याद रखें कि लाॅकडाउन के नियमों को बिल्कुल ढीला कर दिया है क्योंकि संसार की नजर में आप मात्र एक संख्या हैं लेकिन अपने परिवार के लिए आप उसकी पूरी दुनिया हैं। इसलिए अपने लिए, अपने परिवार के लिए एक सच्चे योद्धा की तरह कोरोना को हराने के अपने संकल्प को मजबूत बनाए रखें।