नई दिल्ली, चीन संकट को लेकर समाजवादी पार्टी ने महत्वपूर्ण सुझाव दियें हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 19 जून 2020 को आहूत विपक्षी दलों के साथ बैठक में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं सदस्य राज्यसभा प्रो0 रामगोपाल यादव जी ने भाग लिया और पार्टी के महत्वपूर्ण सुझावों को रखा।
प्रो0 रामगोपाल यादव ने सर्वदलीय बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा सरकार कुछ भी कहें किन्तु सच यह है कि चीन ने हमारी कुछ जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसको कूटनीतिक राजनीतिक वार्ताओं के जरिए वापस लेना होगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के तौर पर चीन-पाकिस्तान की सीमा तक जाने वाली सड़कों को सिक्सलेन हाईवेज में परिवर्तित करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य शुरू करना होगा। जैसे ग्वालियर से लिपुलेख तक जाने वाली सड़क ग्वालियर कैण्ट, फतेहगढ़ कैण्ट, बेरली कैण्ट से सीधे जुड़ती है। लखनऊ कैण्ट और कानपुर कैण्ट से भी हमारी सेनाए काफी कम समय में इस हाईवे पर पहुंच सकती है।
श्री यादव जी ने कहा कि चीनी उत्पादों का आयात रोका जाना चाहिए क्योंकि उनसे हमारे कुटीर उद्योग खत्म हो गए है और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए है। भारत चीन के उत्पादों का डम्पिंग ग्राउण्ड बन गया है। आयात पर तत्काल रोक पर कोई दिक्कत हो तो चीन से आयातित उत्पादों पर 300 प्रतिशत डयूटी लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रो0 रामगोपाल जी ने सुझाव दिया कि अरूणाचल प्रदेश से लेकर कच्छ तक जितने लोकसभा क्षेत्र, चीन और पाकिस्तान की सीमा से मिलते हैं, उनके सांसदों से हर तीन माह में मिलकर जमीनी हकीकत की जानकारी लेनी चाहिए।
प्रो0 रामगोपाल यादव जी ने कहा कि युद्ध किसी देश के लिए हितकर नहीं होता है, यह केवल विनाश लाता है। इसलिए शांति के यदि प्रयास असफल हो जाएं और चीनी सैनिक हमारी सीमाओं से वापस न हटें तो युद्ध को अंतिम विकल्प के रूप में ही चुना जाए और इस अवधि में भारत को अपनी सेनाओं को पूरी तरह सुसज्जित करके सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार रखा जाए।
उन्होंने गलवान घाटी की घटना के संदर्भ में कहा कि चीन और पाकिस्तान पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है। हमें हमेशा सतर्क रहना पडे़गा। डोकलाम के बाद गलवान घाटी की घटना को देखते हुए हमें लांगटर्म के लिए तत्काल प्रभाव से तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा युद्ध अंतिम विकल्प होता है। उन्होंने चीन को आर्थिक क्षति पहुंचाने को अस्त्र-शस्त्रों की चोट से भी ज्यादा खतरनाक बताया। उन्होंने हर छह माह में सर्वदलीय बैठक बुलाने का भी सुझाव दिया।